सहरसा. खेती के परंपरागत तरीके के साथ आज किसान नयी नयी तकनीक अपना रहे हैं. इनमें नयी है एफएलडी तकनीक. इस तकनीक से खेती के नतीजे बेहद अच्छे हैं. इस खेती में सरकार आपकी मदद करेगी. सहरसा में एक रिटायर्ड फौजी ने इसे अपनाया और नतीजा बहुत अच्छा रहा.
सहरसा के पटूवाहा गांव के विकास चन्द्र मिश्र फौज में सेवा देने के बाद रिटायर हो गए. खाली समय में इन्होंने खेती करने की सोची. खेती में भी नयी तकनीक अपनाना इन्हें बेहतर विकल्प लगा. विकास ने जिला उद्यान कार्यालय के सहयोग से लगभग 25 लाख की लागत से एफ़ एल डी का निर्माण कराया. फिर उसमें खीरा की ऐसी किस्म लगायी जिसमें बीज न हों. पैदावार अच्छी हुई और अब ये खीरा बाजार में पहुंच रहा है.
पीएम मोदी से प्रभावित
विकास चंद्र मिश्र बताते हैं फौज की नौकरी से रिटायर होने के बाद मैंने प्रधानमंत्री मोदी की आत्मनिर्भर वाली बातों से प्रेरित होकर अपना रोजगार शुरू कर दूसरे लोगों को भी उससे जोड़ा. परिवार के सभी लोग खेती पर ही आश्रित हैं. इसलिए मैंने कृषि को अपने रोजगार के लिए प्राथमिकता दी. जिला कृषि पदाधिकारी और जिला उद्यान पदाधिकारी से संपर्क किया.
गांव में ही मिल गया रोजगार
कृषि विभाग ने एफ़ एल डी नाम की नई तकनीक बतायी. इसमें 100% सब्सिडी है. मैंने इस नई तकनीक से खेती शुरू की. और बीजरहित खीरा लगाना शुरू किया. इससे काफी लाभ हो रहा है और कई लोगों को रोजगार भी दे रहा हूँ. विकास कहते हैं मेरी युवाओं को सलाह है कि वो रोजगार की तलाश में बाहर जाने के बजाए अपने ही गांव में रोजगार करें.विकास चन्द्र मिश्र के फार्म में काम करने वाले मजदूर राजेन्द्र शर्मा ने बताया हम लोग दिल्ली पंजाब कमाने जाते थे. लेकिन अब हमें गांव में ही काम मिल गया है.
क्या है एफएलडी तकनीक
जिला कृषि पदाधिकारी ज्ञानचंद्र शर्मा ने एफएलडी तकनीक की जानकारी दी. उन्होंने बताया एफएलडी यानि फ्रंट लाइन डेमोस्ट्रेशन खेती की बिल्कुल नई तकनीक है. इसमें प्लास्टिक मंच पर खेती की जाती है. इसमें ड्रिप इरिगेशन होता है. पौधे को जितने पानी की जरूरत होती है उतना ही पानी मिलता है. इसमें फॉगिंग के जरिए सिंचाई की जाती है. किसान को उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया जाता है. इस तकनीक से सीड लेस खीरा, शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी की भी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
Tags: India agriculture, Local18
FIRST PUBLISHED : July 2, 2024, 17:11 IST
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