खरगोन: मध्य प्रदेश का खरगोन धार्मिक कार्यों में हमेशा अग्रणी रहा है. इसी तारतम्य में जगत के पालन हार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा विगत 12 वर्षो से निकाली जाती है. यें 13 वां वर्ष है. उड़ीसा के पुरी स्थिति जगन्नाथ धाम की तर्ज पर ही यहां भी सारी रस्में निभाते है. यात्रा निमाड़ की सबसे बड़ी यात्रा कहलाती है. भगवान के रथ को खींचने के लिए पूरे मध्य प्रदेश से हजारों श्रद्धालु आते है.
मंदिर के महंत ह्रदयगिरी महाराज (जूना अखाड़ा) ने Local 18 को बताया कि यात्रा जिले की पावन नगरी महेश्वर में निकलती है. उड़ीसा स्थित मुख्य रथयात्रा में लाखों लोग शामिल होते है, जो भक्त वहां नहीं पहुंच पाते वें लोग महेश्वर में निकलने वाली रथयात्रा में सम्मिलित होते हैं. चूंकि पुरी की तर्ज पर ही यहां भी भगवान की यात्रा निकलती है. सभी रस्में और अनुष्ठान होते है.
भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया –
बता दें कि शनिवार को मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया गया. प्रातः 9 बजे भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा का विग्रह गर्भगृह से बाहर लाया गया. नर्मदा के जल से मंत्रोच्चार के साथ जलाभिषेक हुआ. विग्रहो को पुनः गर्भगृह में विराजित किया. श्रंगार के बाद गजानंद स्वरूप में भगवान ने भक्तो को दर्शन दिए. भोग, आरती और फिर प्रसादी वितरण हुआ. भगवान के स्वस्थ होने पर शाम को आरती के बाद मंदिर के पट पंद्रह दिनों के लिए बंद कर दिए.
औषधियों से होगा भगवान का उपचार
बताते हैं कि स्नान के बाद भगवान अस्वस्थ हो जाते है. इसलिए 15 दिनों तक उनका उपचार होता है. इस दौरान भगवान सिंहासन पर विराजित नहीं होते, जमीन पर आराम करते है. भगवान को विभिन्न औषधियुक्त काढ़ा, फलों का जूस आदि का सेवन कराया जाता है. पंद्रह दिन बाद आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा को पट खुलेंगे. दूज के दिन भक्तो के हाल जानने भगवान भव्य रथ (गाड़ा) पर सवार होकर नगर भ्रमण करेंगे.
7 जुलाई को निकलेगी रथयात्रा
महंत ग्रदयगिरी महाराज और मंदिर समिति के दीपक शर्मा ने कहां कि आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को सुबह 10 बजे भगवान भव्य रथ पर सवार होकर भक्तो का हाल जानने उनके बीच जाएंगे. करीब 6 घंटे नगर भ्रमण कर यात्रा पुनः मंदिर लौटेगी. यात्रा में खरगोन, बड़वानी, धार, खंडवा सहित पूरे निमाड़ और मध्य प्रदेश से पचास हजार से ज्यादा श्रद्धालु शामिल होते है. यात्रा को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई. गांव-गांव में व्यापक स्तर पर प्रचार किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो सके.
लॉटरी सिस्टम से होगा भक्तों का चयन
इस यात्रा में अनोखी परंपरा निभाई जाती है. जिसमें पट बंद होने के बाद एक बंद पेटी में भक्त अपना नाम और मोबाइल नम्बर लिखकर डाल देते है. यह पेटी रथयात्रा के दिन खुलती है. लॉटरी सिस्टम से 32 चिट्ठियां निकाली जाती है. जिसका नाम आता है वहीं भक्त भगवान को रथ में बिठाते है और पुनः गर्भगृह में विराजित करते है.
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FIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 23:49 IST
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