रायपुर. छत्तीसगढ़ कांग्रेस विधानसभा चुनाव के पहले जितनी मजबूत दिखती थी, चुनाव के नतीजों के बाद यह भरोसा भरभराकर गिर गया. रही सही कसर लोकसभा चुनाव ने भी पूरी कर दी. विधानसभा चुनाव में हुई बुरी तरह हार के बाद कांग्रेस के भीतर जहां जमकर बयानबाजी शुरू हुई, हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ा, वहीं आरोप प्रत्यारोप से भरी चिट्ठियों की बमबारी भी शुरू हो गई. दिलचस्प बात है कि कुछ लोग एक बार नहीं बार-बार चिट्ठियां लिखते हैं. सवाल यह भी कि क्या ये चिट्ठियां आपसी गुटबाजी में लिखाई जा रही.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कभी गुमनाम तो कभी नाम के साथ चिट्ठियों की बमबारी जारी है. चिट्ठी में कभी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कभी दीपक बैज, कभी मोहन मरकाम तो कभी पूर्व मंत्री निशाने पर रहते हैं. ये चिट्ठियां पीसीसी को तो लिखी जाती है वहीं सार्वजनिक भी कर दी जाती है. इन चिट्ठियों से लगातार पार्टी की फजीहत होती है. पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इससे पार्टी के भीतर अनुशासनहीनता बढ़ती है. वहीं कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटता है. इस पर सख्ती होनी चाहिए.
भूपेश बघेल का बड़ा बयान
इन चिट्ठियों में जो सबसे आम बात यह है कि सत्ता और संगठन के बीच तालमेल नहीं था. सबसे ज्यादा निशाने पर रहते हैं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि ऐसी गुमनाम चिट्ठियां और आएंगी. नाम के साथ भी आएंगी. पुराने कलाकार हैं जो निकल रहे हैं. वहीं पीसीसी चीफ दीपक बैज का कहना है कि चिट्ठी लिखना व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन यह गलत है. जल्द कार्रवाई होगी.
जाहिर तौर पर चिट्ठियों के मजमून में जिस तरह की बातें लिखी जाती है उससे एकबारगी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पार्टी के भीतर जमकर गुटबाजी है. सवाल इस बात को लेकर भी है कि लगातार पार्टी की फजीहत कर रहे नेताओं पर जिस तरह की चुप्पी साधी जा रही है, इससे यह भी सवाल है कि आखिर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है.
Tags: BJP Congress, Chhattisgarh news, Raipur news
FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 15:03 IST
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