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लीची के बाद तैयार है नया फल, देखने में छोटा स्वाद में स्वीटनर से मीठा, इसमें कैंसर रोकने के गुण

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर का आम और शाही लीची अपने स्वाद के कारण प्रसिद्ध हैं. दूर दूर तक ये फल एक्सपोर्ट किए जाते हैं. आम का मौसम बीतने को है. लीची तो मुश्किल से महीने भर की मेहमान रहती है. इसकी जगह अब एक नया फल तैयार है. नाम है लौंगन. ये लीची से थोड़ा छोटा लेकिन मीठा उतना ही होता है. इसका इस्तेमाल दवाई बनाने में करते हैं.

मुजफ्फरपुर की शाही लीची अपने रसीली स्वाद के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. फिलहाल अब लीची का मौसम खत्म हो होने को है. ऐसे में लीची जैसे स्वाद वाला इसी प्रजाति का फल लौंगन का भी मौसम आ गया है. लौंगन पकने की शुरुआत हो चुकी है. जल्द ही इसे आम लोगों के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में लौंगन के पौधे को प्रयोग के तौर पर लगाया था. अब यहां बड़े स्तर पर लौंगन का उत्पादन होने लगा है.

एंटी कैंसर गुणों से भरपूर
लीची की यह प्रजाति थाईलैंड और वियतनाम में काफी पसंद की जाती है. वहां इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर होती है. मुजफ्फरपुर में इसकी सफल खेती राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने की है. लौंगन का फलन लीची के सीजन के बाद शुरू होता है. यह लीची की तरह लाल नहीं होती है. इसमें एंटी कैंसर के साथ-साथ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं. लीची उत्पादन वाले इलाकों में इसकी बागवानी कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. लौंगन का सीजन जुलाई से अगस्त तक होता है. इस दौरान ही इसका फलन होता है.

इस फल में कीड़े नहीं लगते
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र परिसर में इस बार भी लौंगन की खेती काफी जोर शोर से की जा रही है. केंद्र की ओर से किसानों को लौंगन की बागवानी के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. लौंगन के पेड़ में अप्रैल में फूल लगते हैं और जुलाई में फल पक कर तैयार हो जाता है. अगस्त में यह खत्म भी हो जाता है. लौंगन लीची जैसा ही होता है. एक तरह से कह सकते हैं यह लीची कुल का ही फल है, जो खाने में मीठा होता है. लीची की तरह इसके पत्ते भी होते हैं. पेड़ भी वैसा ही होता है. बस यह लीची की तरह लाल और अंडाकार नहीं होता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लीची की तरह कीड़े नहीं लगते. लीची का सीजन समाप्त होने के एक माह बाद तक यह उपलब्ध होता है.

स्वीटनर की तरह मीठा,दवाइयों में इस्तेमाल
लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार ने लोकल 18 को बताया कीलौंगन लीची प्रजाति का फल है. इसकी पैदावार हमारे यहां की जा सकती है. लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में इसकी खेती की जाती है. इस वर्ष सभी पेड़ों पर अच्छे फल लगे हैं. अभी लौंगन की फल का साइज काफी छोटा है. धीरे धीरे इसका साइज बढ़ रहा है. इसमें काफी मिठास होती है और यह प्राकृतिक स्वीटनर की तरह भी काम करता है. लौंगन का उपयोग कई तरह की औषधि बनाने में भी किया जाता है.

((Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी. Local 18 इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.))

Tags: Healthy food, Local18, Muzaffarpur latest news

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24x7 Punjab
Author: 24x7 Punjab

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