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हरियाणा की सबसे हॉट सीट, इत्ती सी बात पर नाराज हुई जनता, चौधरी देवीलाल को 3 बार झेलनी पड़ी हार

देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस बीच नेतृत्व परिवर्तन की वजह से राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा में सियासी सरगर्मियां तेज हैं. ऐसे में हम आपके साथ यहां की एक सबसे हॉट सीट के बारे में चर्चा करते हैं. यहां की जनता एक बार पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल से इत्ती सी बात से नाराज हो गई थी. इस कारण उसने उनको एक-दो नहीं, बल्कि तीन लोकसभा चुनावों में हरा दिया. हम बात कर रहे हैं हरियाणा की रोहतक सीट की. देश में पहला आम चुनाव 1952 में हुआ था, उस वक्त भी रोहतक संसदीय सीट थी. यहां के पहले सांसद बने थे चौधरी रणबीर सिंह. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पिता और राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा के दादा.

वर्ष 1957 में दूसरा आम चुनाव हुआ, तब भी कांग्रेस की टिकट पर रणबीर सिंह ही दोबारा सांसद चुने गए. वर्ष 1962 में जनसंघ के उम्मीदवार चौधरी लहरी सिंह यहां से जीतकर संसद पहुंचे. 1966 में हरियाणा बनने के बाद प्रदेश को नौ लोकसभा सीटें मिलीं. वर्ष 1967 के चुनाव में यहां की जनता ने कांग्रेसी उम्मीदवार रणधीर को अपना नुमाईंदा चुना, लेकिन 1971 में जनसंघ के मुख्तयार सिंह, 1977 में जनता पार्टी के शेरसिंह और 1980 में जनता पार्टी के ही स्वामी इन्द्रवेश ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली.

चौधरी देवीलाल से नाराज हुई जनता
एक बार फिर से कांग्रेस के दिन फिरे और 1984 में हरद्वारीलाल ने वापिस रोहतक सीट पार्टी की झोली में डाल दी, लेकिन यह खुशफहमी ज्यादा नहीं टिक पाई. 1989 के आम चुनाव में चौधरी देवीलाल की आंधी ने कांग्रेस के तम्बू उखाड़ दिए और रोहतक सीट पर जीत हासिल की. उस वक्त चौधरी देवीलाल सीकर (राजस्थान) से भी चुनाव जीते थे, इसलिए एक सीट छोड़नी थी. चौधरी देवीलाल ने जाने क्या सोचकर अपनी पसंदीदा सीट रोहतक को ही छोड़ दिया. बस फिर क्या था यहां के लोग चौधरी देवीलाल से नाराज-से हो गए और उन्हें लगातार तीन बार 1991, 1996 और 1998 में चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के हाथों उन्हें हरा दिया. हालांकि 1998 में तो हार-जीत का अंतर महज 383 वोटों का ही था.

Which political party won the 1991 election of Haryana, Which party won the Assembly election of Haryana in 1987, Which political party was ruling the state of Haryana in year 1985, rohtak lok sabha seat, deepender hooda, and bjp chaudhary devi lal was defeated three times

सभी 10 सीटों पर मिली जीत 
हरियाणा में 1999 का लोकसभा चुनाव इनेलो-भाजपा ने मिलकर लड़ा, जिसमें प्रदेश की सभी 10 सीटें गठबंधन के खाते में गईं. रोहतक लोकसभा सीट पर भी हैट्रिक बना चुके चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को इनेलो उम्मीदवार कैप्टन इन्द्र सिंह से तकरीबन डेढ़ लाख वोटों से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. लेकिन, 2004 के चुनावों में चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने फिर वापसी की. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार कैप्टन अभिमन्यू को तकरीबन डेढ़ लाख वोटों से हराकर अपने गढ़ को दोबारा हासिल कर लिया.

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दीपेन्द्र बने उत्तराधिकारी
इसके बाद 2005 में चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए और उन्हें रोहतक लोकसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा. रोहतक सीट पर 2005 में हुए उपचुनाव में उनकी जगह उनके बेटे दीपेन्द्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस की टिकट मिली और भाजपा के उम्मीदवार कैप्टन अभिमन्यू को दोबारा शिकस्त मिली, लेकिन इस बार हार का ग्राफ बढ़ा और यह आंकड़ा सवा दो लाख से ऊपर हो गया.

2009 में पन्द्रहवीं लोकसभा का चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने दीपेन्द्र हुड्डा को ही टिकट दी. इनेलो-भाजपा ने फिर से गठबंधन किया और इनेलो उम्मीदवार नफे सिंह राठी को टिकट दी गई. इस बार दीपेन्द्र हुड्डा ने एक नया रिकार्ड कायम किया और इनेलो उम्मीदवार को तकरीबन साढे चार लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा. 1952 से लेकर 2019 तक रोहतक लोकसभा सीट पर 17 आम चुनाव और दो उपचुनाव हुए हैं, जिनमें से 12 बार कांग्रेस को मौका मिला है और उसमें भी 9 बार हुड्डा परिवार का कब्जा रहा है. चौधरी रणबीर सिंह इस सीट पर पहले सांसद थे और अब भाजपा के डाक्टर अरविंद शर्मा यहां से सांसद हैं.

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तीन जिलों को मिलाकर बना है सीट
रोहतक संसदीय क्षेत्र का दायरा तीन जिलों रोहतक, झज्जर और रेवाड़ी में फैला हुआ है, जिसमें 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. रोहतक जिले में रोहतक शहर, कलानौर (आरक्षित), महम और गढ़ी सांपला-किलोई आते हैं, झज्जर जिले में झज्जर शहर (आरक्षित), बहादुरगढ, बादली और बेरी हलका आते हैं, जबकि रेवाड़ी जिले का कोसली विधानसभा क्षेत्र भी रोहतक संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है.

इस संसदीय क्षेत्र के गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा क्षेत्र से पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा विधायक है. रोहतक को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है, वे लगातार दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनके कार्यकाल में रोहतक में काफी विकास कार्य भी हुए हैं और यही कारण है कि यहां पर हुड्डा परिवार का दबदबा है.

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मोदी लहर में कांग्रेस के हाथ से निकली सीट
2019 के लोकसभा चुनाव में हुड्डा परिवार का विजयी रथ रुक गया, जब भाजपा की टिकट पर डॉक्टर अरविंद शर्मा ने तीन बार के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को तकरीबन 7500 वोटों से हरा दिया और इस हार का सबसे बड़ा कारण बनी कोसली विधानसभा की सीट, जहां से डॉक्टर अरविंद शर्मा को तकरीबन 75000 वोटों की बढ़त मिली थी. दीपेन्द्र हुड्डा फिलहाल बेशक राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन उन्होंने फिर से बिना टिकट घोषित हुए अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया, जबकि भाजपा ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

Tags: Haryana news, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Rohtak News

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