माउंट एवरेस्ट की खोज की, फिर बनाई यह मशीन, जिनसे नाप लेंगे सितारों की दूरी, संभालकर रखा है यहां

अरशद खान/ देहरादून. दुनिया के महान सर्वेयरों में शुमार सर जॉर्ज एवरेस्ट को कौन नहीं जानता. इनके नाम पर ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ का नाम रखा गया है. देवभूमि उत्तराखंड से तो उनका लंबे समय तक नाता रहा है, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी का एक लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में रहकर बिताया है. जॉर्ज एवरेस्ट ब्रिटिश फौज में लेफ्टिनेंट कर्नल थे. उन्होंने ही भारतीय सर्वेक्षण विभाग यानी सर्वे ऑफ इंडिया की नींव भी मसूरी के हाथीपांव में सन् 1832 में रखी थी. लेकिन बाद में इसको उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शिफ्ट कर दिया गया.

सर्वे ऑफ इंडिया के इसी भवन में स्थित म्यूजियम में सर जॉर्ज एवरेस्ट का डिजाइन किया हुआ एक एस्ट्रोनॉमिकल इक्विपमेंट यानी खगोलीय उपकरण रखा है. यह अपने आप में अनूठा है और दुनिया के सबसे पुराने खगोलीय यंत्रों में से एक भी माना जाता है. 24 इंच का Azimuth Re Divided Circle  नाम का यह यंत्र तारों के बीच दूरी मापने और खगोलीय रिसर्च में काम आता है. 1830 में लंदन में थ्रोटन और सिम्स नाम की कंपनी ने इसका निर्माण किया था. साल 1839 में इसे मसूरी के हाथीपांव लाकर सर्वे ऑफ इंडिया के भवन में स्थापित किया गया.

SoI का सबसे पुराना उपकरण
Local 18 से बातचीत में सर्वे ऑफ इंडिया म्यूजियम के इंचार्ज अरुण कुमार बताते हैं कि सर जॉर्ज एवरेस्ट का बनाया यह इक्विपमेंट सर्वे ऑफ इंडिया के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण यंत्रों में से एक है. पुराने जमाने में तारों की गणना और तारों के बीच की दूरी से ही किसी भी चीज की दूरी का आकलन किया जाता था. इसके लिए सर जॉर्ज ने इस उपकरण का आविष्कार किया. यह यंत्र तारों के माध्यम से एक विशेष एंगल की गणना कर सकता है. अरुण कुमार ने यह भी बताया कि यह उपकरण जॉर्ज एवरेस्ट के उसी थियोडोलाइट यंत्र की तरह है, जिससे उन्होंने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का सटीक आकलन किया था.

20 इंच का था थियोडोलाइट यंत्र
जॉर्ज एवरेस्ट ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का आकलन करने के लिए 20 इंच के थियोडोलाइट यंत्र का आविष्कार किया था. लोकल18 से बातचीत में SoI के अरुण कुमार बताते हैं कि इसी थियोडोलाइट से माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मापी गई. जॉर्ज एवरेस्ट ने हिमालय पर्वत की इस चोटी का सटीक आकलन दुनिया के सामने पेश किया. आपको बता दें कि साल 1865 में सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर ही हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी का नामकरण ‘माउंट एवरेस्ट’ किया गया.

Tags: Dehradun news, Local18, Mount Everest, Museum Storage

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