रायपुर: कलयुग के प्रधान देव भगवान जगन्नाथ की महिमा अपरंपार है. आस्थावान भक्तों के इकलौते भगवान जगन्नाथ ही ऐसे आराध्य हैं, जो स्नान पश्चात बीमार पड़ते हैं. भक्तों के भाव में वे स्नान पूर्णिमा के दिन अधिक स्नान करने की वजह से सामान्य व्यक्ति की तरह ही बीमार भी होते हैं. ऐसी स्थिति जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र भक्तों से 14 दिनों तक नहीं मिलते और बुखार के प्रभाव की वजह से वे गर्भगृह की बजाय विश्राम कक्ष में एकांतवास के लिए चले जाते हैं. इस स्थिति में जिस प्रकार से परिवार में किसी के बीमार होने पर उनकी सेवा की जाती है, ठीक उसी प्रकार अब भगवान की सेवा मंदिर के पुजारियों और सेवकों के द्वारा की जा रही है.
इस परंपरा का निर्वहन रविवार से राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके के दूरी हटरी में स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में प्रारंभ हुआ है. पुजारी तिलक दास महाराज ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का महास्नान हुआ है. तब से वे बीमार पड़े हैं बुखार आया है. उनके स्वस्थ होने के लिए भगवान को दवाई के रूप काढ़ा बनाकर पिलाते हैं. यह काढ़ा लगभग पांच दिनों तक पिलाने का प्रावधान है. भक्तों के मांग के अनुसार भक्तों को 1 जुलाई एकादशी के दिन काढ़ा बनाकर प्रसाद के रूप में वितरण किया जाएगा.
ऐसे तैयार होता है काढ़ा
काढ़ा बनाने के लिए सौंठ, काली मिर्च, पीपर, अजवाइन, लायचा,गिलोय,चिरायता, कुलंजन, जटामशी जैसे 11 प्रकार के जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है. काढ़ा तैयार करने के लिए इन सब औषधियों को खलबट्टा से कूटकर बारीक भूनका बनाते हैं. उसके बाद छाना जाता है. फिर चूल्हा के आग से बर्तन में पकाया जाता है. काढ़ा में तुलसी पत्ता, गुड़ भी डाला जाता है. अगर 5 लीटर पानी में काढ़ा बनाया जाता है तो उसे 3-4 लीटर होने तक पकाया जाता है. भगवान को भोग लगाने के बाद भक्तों को यह काढ़ा प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है.
काढ़ा पीने से सर्दी बुखार से मिलेगी निजात
पुजारी तिलक दास ने आगे बताया कि भक्तों को भगवान के काढ़ा प्रसाद का बेसब्री से इंतजार रहता है. भक्तों का मानना है कि अगर वे भगवान का काढ़ा प्रसाद ग्रहण करते हैं तो उन्हें आने वाले दिनों में सर्दी बुखार की समस्या नहीं होगी. इसी विश्वास के साथ भक्त काढ़ा पीते हैं और स्वस्थ रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 15:51 IST