‘बिना मैदान वाले स्कूलों को…’, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- खेलकूद बच्चों का मौलिक आधिकार

तिरुवनंतपुरम. केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह हर श्रेणी के स्कूलों में जरूरी खेल के मैदान को बढ़ाने और साथ ही उनके आसपास होने वाली जरूरी सुविधाओं को तय करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करे. जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने कहा कि शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक अधिकार है. शिक्षा में खेल और अन्य पाठ्येतर गतिविधियां शामिल हैं. यदि केरल शिक्षा नियमों (केईआर) के मुताबिक स्कूलों में खेल और खेलों के लिए उपयुक्त खेल का मैदान नहीं है, जिसमें पर्याप्त खाली जगह हो, तो सरकार को उन स्कूलों को बंद करने सहित कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

‘लाइव लॉ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि एक बार दिशानिर्देश जारी हो जाने के बाद शिक्षा प्राधिकरणों को इन दिशानिर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करना चाहिए. साथ ही उन स्कूलों को बंद करने का भी निर्देश दिया जाना चाहिए, जो काफी समय दिए जाने के बावजूद नियमों का पालन करने में नाकाम रहते हैं. इसके बारे में रिट अभिभावक-शिक्षक संघ की ओर से दायर की गई थी, जिसमें जिला पंचायत द्वारा स्कूल परिसर में वर्षा जल संचयन टैंक बनाने के फैसले को चुनौती दी गई थी.

अदालत ने यह माना कि यह मामला निरर्थक हो गया है क्योंकि पानी की टंकी बनाने का प्रस्ताव रद्द कर दिया गया था. लेकिन इसने स्कूल में खेल के मैदानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर रोशनी डाली. इसने केरल शिक्षा नियमों की ओर इशारा किया जिसमें कहा गया है कि ‘हर स्कूल में खेल और खेलों के लिए उपयुक्त खेल का मैदान होना चाहिए. साथ में इसके लिए पर्याप्त खाली जगह होनी चाहिए.’ अदालत ने कहा कि अधिकारी केरल शिक्षा नियमों के तहत जारी विशिष्ट दिशानिर्देशों में कमी का फायदा उठा रहे हैं और खेल और खेलों के लिए पर्याप्त खाली जगह वाले उपयुक्त खेल के मैदान का रखरखाव नहीं कर रहे हैं.

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केरल हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि ये दिशानिर्देश फैसले के आने की तारीख से चार महीने के भीतर तैयार किए जाने हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि ‘स्कूल के खेल के मैदान बच्चे के सीखने के वातावरण का एक अनिवार्य हिस्सा होते हैं जो खेलने के लिए एक सुरक्षित और मजेदार जगह प्रदान करते हैं. खेल के मैदान बच्चों को उनके शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक और कल्पनाशील कौशल विकसित करने में मदद कर सकते हैं. शिक्षा को कक्षाओं तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए और खेल और खेल जैसी पाठ्येतर गतिविधियों को भी शिक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए.’

Tags: Educationschool, Kerala High Court, Thiruvananthapuram, Thiruvananthapuram News

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