नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित नीम करोली बाबा का कैंची धाम आध्यात्मिक मान्यता का केंद्र है. यहां विराट कोहली से लेकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स जैसे कई दिग्गज माथा टेक चुके हैं. इन हस्तियों ने अपना जीवन बदलने की कहानियां भी सुनाई हैं.
नीम करोली बाबा पहली बार साल 1961 में कैंची धाम आए थे. उन्होंने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर 15 जून 1964 को कैंची धाम की स्थापना की. नीम करौली बाबा ने 15 जून को ही कैंची धाम को स्थापना दिवस के रूप में तय किया था. उन्होंने 10 सितंबर 1973 को शरीर त्याग कर महासमाधि ली थी. समाधि लेने के बाद उनके अस्थि कलश को धाम में ही स्थापित कर दिया गया. इसके बाद साल 1974 से बड़े स्तर पर मंदिर का निर्माण हुआ. आश्रम के नाम को लेकर यह माना जाता है कि कैंची धाम की ओर जा रही सड़क कैंची की तरह दो तीखे मोड़ जैसी दिखाई देती है. इस वजह से धाम का नाम कैंची धाम रखा गया. नीम करोली बाबा हनुमान को काफी ज्यादा मानते थे. इसी वजह से उन्होंने अपने जीवन में हनुमान जी के 108 मंदिरों को बनवाया.
कैंची धाम से पहले था घना जंगल
कैंची धाम ट्रस्ट के प्रबंधक प्रदीप शाह (भय्यू दा) बताते हैं कि बाबा नीम करोली बाबा को सिद्धियां प्राप्त थी. लोग बाबा जी को हनुमान जी का अवतार ही मानते हैं. भय्यू दा बताते हैं कि साल 1962 में बाबा जब रानीखेत से भवाली की तरफ आ रहे थे, तो वे गाड़ी रोककर शिप्रा नदी के इस पार आ गए. साथ के लोगों से इस स्थान पर स्थित सोमबारी महाराज की गुफा और धूनी के बारे में पूछने लगे. तब इस जगह पर घना जंगल हुआ करता था. लेकिन, महाराज ने इस जगह को जहां आज कैंची धाम स्थित है, हनुमान मंदिर के लिए चिन्हित कर लिए था. कुछ समय बाद इस जगह पर सफाई करवाकर यहां हनुमान मंदिर की स्थापना की. धीरे धीरे अन्य मंदिरों के स्थापना होती चली गई.
पहले ही कर चुके थे भविष्यवाणी
भय्यू दा बताते हैं कि जब बाबाजी इस जगह पर मंदिरों की स्थापना कर रहे थे. तब किसी ग्रामीण ने उनसे पूछा था कि महाराज यहां पर न ही पानी है और ना ही कोई बुनियादी सुविधाएं. ऐसे में इन मंदिरों में कौन आएगा. तो बाबाजी ने हंस कर जवाब दिया एक दिन सम्पूर्ण विश्व आएगा यहां. और आज सम्पूर्ण विश्व से लोग यहां बाबाजी के दर्शन के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 19, 2024, 15:00 IST
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