मधुबनी. अपने कहानी संग्रह के जरिए बच्चों के जीवन पर प्रकाश डालने वाले लेखक नारायण जी के नाम का ऐलान साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए किया गया है. जिससे पूरे समाज और लेखकवर्ग में हर्ष का माहोल है. नारायण जी मूल रूप से बिहार के मधुबनी स्थित घोघरडीहा गांव के रहने वाले हैं. मूलरूप से शिक्षक होने के साथ ही वह काफी वर्षों से साहित्य में रुचि लेते आए हैं.
बच्चों के जीवन पर आधारित है ‘अनार’
बच्चों के जीवन पर सजगता से प्रकाश डालते हुए इन्होंने ‘अनार’ नाम की कथा संग्रह को लिखा है. इसकी कहानी मनलुभावन है. कुल 17 सिरमोरों से जुड़ा यह साहित्य बच्चों के विविध कला पर आधारित है. इसी पुस्तक के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नामित किया गया है. इससे पहले भी इनकी कई पोथियां समय समय पर प्रकाशित हो चुकी है.
समाज को जोड़ने के लिए नहीं लगाते उपनाम
बातचीत के क्रम में उन्होंने बेहद चौकाने वाला खुलासा किया, वह बताते हैं कि उपनाम से समाज का अलग-अलग तबका अलग सोच और नजरिए के साथ व्यक्तित्व को देखता है. बकौल नारायण-समाज को एक सूत्र में बंधे रहने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को सिर्फ इंसान के स्वरूप में देखे. ब्राह्मण होते हुए भी मैंने उपनाम का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन यह मेरी सोच है. मैं इसके लिए किसी को बाध्य नहीं करता.
‘हम घूर रहल छी’ से शुरुआत’
उन्होंने वर्ष 1993 के दौरान अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत मैथिली साहित्य से की थी. इसके बाद समय समय पर इनकी कई पुस्तकें मार्केट में आती रही है. वह मैथिली, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अपने साहित्य के जरिए पाठक वर्ग तक पहुंचते रहे हैं. ‘अनार’ भी उसमें से एक है. यह कथा संग्रह बच्चों के सोच और उनकी परवरिश पर आधारित है.
इनकी उत्कृष्ट रचना के लिए इन्हें कई दफा सम्मानित भी किया जा चुका है. बीते कल ही बिहार सरकार के परिवहन मंत्री शीला मंडल द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया. नारायण आगे भी अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं,और कई सारे साहित्यों की रचना में जुटे हुए हैं. वो मूल रूप से सामाजिक व्यवधान, बालजीवन, आधुनिक परिवेश पर आधारित कथा लिखने में दिलचस्पी रखते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 21:57 IST