देश के ग्रोथ की गड्डी की रॉकेट सी रफ्तार; उम्मीदों से निकली पार, राजकोषीय घाटा भी कम हुआ

भारत लगातार आर्थिक मोर्चे पर नये कीर्तिमान गढ़ रहा है. देश के ग्रोथ की गड्डी की रॉकेट सी रफ्तार में है. दुनिया की पांचवी अर्थव्यवस्था तो हम हैं ही, लेकिन तीसरे नंबर पहुंचने की रेस जारी है. इस रेस को शुक्रवार को तब बल मिला, जब नेशनल स्टेटिकल ऑफिस (NSO) ने आंकड़े जारी किए. NSO के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही (January-March 2024) में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी रही. यह आंकड़े इसलिए भी उत्साहजनक हैं क्योंकि ब्लूमबर्ग के इकोनॉमिस्ट्स ने इस अवधि के लिए 7 फीसदी का अनुमान जताया था. Q3FY24 यानी पिछली तिमाही (Oct-Dec 2023) में ये आंकड़ा 8.4% रहा था. पूरे वित्त वर्ष में भी देश ने काफी तेज ग्रोथ की है. आंकड़ों के मुताबिक, चारों तिमाही मिलाकर वित्त वर्ष 2024 में देश की जीडीपी 8.2% फीसदी बढ़ी है, जबकि, ब्लूमबर्ग का अनुमान 7.9 फीसदी था.

Q4 में GVA ग्रोथ 6.3% दर्ज
आंकड़ों के मुताबिक, ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) ग्रोथ भी अनुमान से बेहतर रही है. Q4 में GVA ग्रोथ 6.3% दर्ज की गई है, जबकि ब्लूमबर्ग इकोनॉमिस्ट्स ने GVA में 6.2% की बढ़ोतरी का अनुमान जताया था. पिछली तिमाही में ये आंकड़ा 6.8% रहा था. बता दें कि GVA में इनडायरेक्ट टैक्स और सब्सिडीज का हिस्सा नहीं होता है. ब्लूमबर्ग इकोनॉमिस्ट्स ने अनुमान लगाया था कि जनवरी-मार्च तिमाही में GDP ग्रोथ 7% रहेगी. GVA में 6.2% की बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया था.

NSO ने भी कम अनुमान किया था
जीडीपी निश्चित अवधि में देश की भौगोलिक सीमा के भीतर उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को बताता है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में देश की जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रही थी. एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी. आर्थिक मोर्चे पर भारत के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीन की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही में 5.3 प्रतिशत रही है.

राजकोषीय घाटा भी कम हुआ
सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष में जीडीपी का 5.63 प्रतिशत रहा. यह केंद्रीय बजट में जताये गये 5.8 प्रतिशत के अनुमान से कुछ कम है. वास्तविक रूप से राजकोषीय घाटा यानी व्यय और राजस्व के बीच अंतर 16.53 लाख करोड़ रुपये रहा. सरकार ने एक फरवरी को पेश अंतरिम बजट में 2023-24 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा 17.34 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार, सरकार राजस्व संग्रह के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब रही है. शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 2023-24 में 23.36 लाख करोड़ रुपये जबकि व्यय 44.42 लाख करोड़ रुपये रहा.



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