तालाबों और गड्ढों में अपने आप उगने वाला ये घास…धान और पशुओं के लिए वरदान, ऐसे करें घर पर तैयार

सौरभ वर्मा/रायबरेली : हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है. यहां की अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर है. लोग बड़े स्तर पर खेती के साथ पशुपालन का भी काम कर रहे हैं. ऐसे में किसानों को पशुओं के लिए हरे चारे का प्रबंध करना बड़ा ही कठिन काम होता है. लेकिन आज हम उनको एक ऐसे हरे चारे के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने तैयार कर सकते हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं अजोला घास की. जिसका नाम सुनकर शायद आप आश्चर्यचकित हो जाए लेकिन यह नाम नया नहीं है. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं अजोला तैयार करने एवं यह पशुओं के साथ ही खेती के लिए किस प्रकार उपयोगी है.

रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के कृषि प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा(Bsc Ag) बताते हैं कि अजोला एक जलीय पौधा  जो तालाबों, झीलों और गड्ढों में ठहरे हुए पानी में अपने आप उग आता है. अजोला पशुओं को हरे चारे के तौर पर दिया जा सकता है. इसके अलावा मुर्गियों और मछलियों को भी यह खिलाया जाता है. पशुओं को रोजाना अजोला खिलाने से 10 से 15 दिन के बाद दूध में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. अजोला मछलियों को खिलाने से उनकी संख्या और उनका वजन भी जल्दी बढ़ेगा. वहीं अजोला अगर मुर्गियों को फीड के तौर पर दिया जाता है. उससे उनके अंडों की गुणवत्ता बेहतर होगी.

क्या है अजोला ?
शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि पोषक तत्वों से भरपूर अजोला की पत्तियों में अलोविना अजोली नाम का हरित शैवाल पाया जाता है. बहुत ही कम समय में तैयार होने वाला यह हरा चारा पशुओं के साथ ही फसलों के लिए किसी अमृत से कम नहीं है. अजोला में सभी सूक्ष्म तत्व पाए जाते हैं. इसमें बोरान, आयरन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है. इसके अलावा पानी में उगने वाली इस घास में शुष्क मात्रा के आधार पर 40-60 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज एवं 7-10 प्रतिशत एमिनो अम्ल, जैव सक्रिय पदार्थ एवं जैव पोलिमर्स, इत्यादि पाये जाते है . इसमें कार्बोहाइड्रेट एवं वसा की मात्रा अत्यंत कम होती है.

पशुओं के लिए अमृत है अजोला
शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि किसान अपने पशुओं को इस हरे चारे के रूप में एक से दो किलोग्राम प्रति दिन खिलाएं जिससे दूध में बढ़ोतरी होने के साथ ही पशु का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा. साथ ही पशुओं को देने से पहले ध्यान देना होगा कि इसे गड्ढे से निकाल कर तीन से चार बार साफ पानी से धूल लें. उसके बाद पशु को खिलाएं.

धान के लिए वरदान है अजोला
शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि किसान अपनी फसलों के लिए इसे हरित खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. क्योंकि इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के साथ ही फसलों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी करने में सहायक होता है. अगर धान की फसल में 10 से 15 किलो अजोला प्रति एकड़ के हिसाब से डाल दें तो 20 दिन में नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता है

ऐसे तैयार करें अजोला
Local 18 से बात करते हुए शिवशंकर वर्मा बताते हैं अगर आप अजोला को तैयार करना चाहते हैं. तो उसके लिए एक मीटर चौड़ी और 3 मीटर लंबी कंक्रीट की क्यारी बना लें. जिसकी गहराई करीब 1 फिट रखें. उसके बाद उसमें नीचे थोड़ी मिट्टी डालने के बाद उसमें पानी भर दें. 200 से 400 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट रासायनिक खाद पानी में डाल दें. इसके बाद इसमें अजोला स्वयं ही तैयार हो जाएगा. शिवशंकर वर्मा बताया कि इससे पहले दक्षिणी भारत में अजोला का प्रचलन था लेकिन अब उत्तरी भारत में भी इसकी काफी मांग बढ़ रही है.

Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News Hindi

Source link

Leave a Comment

और पढ़ें

  • JAPJEE FAMILY DENTAL CLINIC
  • Ai / Market My Stique Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool