गरीबों का मसीहा है यह शख्स! मुफ्त में करता है इलाज, अबतक 2000 से ज्यादा लोगों को फ्री खाना खिला चुका

दीपक पाण्डेय/खरगोन. किसी की मदद करने के लिए धनवान होना जरूरी नहीं है. नेक दिल और साफ नियत हो तो भगवान खुद साथ देते हैं. मध्य प्रदेश के रणजीत सिंह ठाकुर लोगों के लिए इंसानियत की एक ऐसी ही मिसाल बनकर सामने आए हैं. वें पिछले 17 वर्षों से सेवा कार्य में जुटे हैं. भूखे को रोटी, बीमारों का फ्री में इलाज करवाते हैं. निर्धन लोगों की अंतेष्टि तक का खर्च भी वह स्वयं उठाते हैं.

दरअसल, वर्ष 2007 में उन्होंने लोगों की मदद का बीड़ा उठाया था. अपनी कमाई का 25 फीसदी हिस्सा सिर्फ जरूरतमंदों के लिए खर्च करने का संकल्प लिया. इन 17 वर्षों में उन्होंने 2000 से ज्यादा भूखों को फ्री में खाना खिलाया,  इलाज और दवाइयां उपलब्ध कराई. 250 से ज्यादा लोगों का दाह संस्कार करवाया. घायल मनुष्यों का भी इलाज अपने खर्चे पर करवाते हैं.

भूखों को खिलाते हैं खाना

35 साल के रणजीत सिंह पेशे से किसान हैं. खरगोन जिला मुख्यालय से लगभग 20 km दूर ग्राम बमनाला में रहते हैं. जरूरतमंदों के लिए वह किसी फरिश्ते से कम नहीं है. क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोता, जो भी जरूरतमंद उन्हें नजर आता है, तुरंत ही पास के किसी होटल से खाना लाकर खिलाते हैं. कोरोना काल में भी जरूरतमंदों की मदद के लिए से हमेशा तत्पर रहते थे.

25 फीसदी कमाई सिर्फ मदद के लिए
लोकल 18 से बातचीत में रणजीत सिंह ठाकुर ने बताया कि लोगों को मुसीबत से घिरा देखा. घर के आसपास ही कई लोग थे, जिन्हें एक टाइम का खाना भी नसीब नहीं होता था. तभी ठान लिया था कि खूब मेहनत करेंगे. आपकी कमाई की 25 प्रतिशत राशि ऐसे लोगों की मदद में लगाएंगे. इसके बाद सिर्फ मानव सेवा ही उद्देश्य रहा. अपने साथ एक बैग हमेशा रखते हैं. जिसमें गोली, दवाई सहित प्राथमिक उपचार की सामग्री रहती है.

निर्धनों का करते हैं दाह संस्कार

उन्होंने कहा कि गांव में कई लोग ऐसे हैं जो अत्यंत गरीब हैं. परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए तो अंतेष्ट के भी पैसे नहीं रहते. ऐसे लोगों के दाह में लगने वाली लकड़ी, कंडे सहित अन्य सामग्री भी वह स्वयं वहन करते हैं. वर्ष 2013 से वह निरंतर इस कार्य को जारी रखे हुए हैं, जो भी मदद के लिया उनके पास आता है. कभी मना नहीं करते.

पशुओं का करते हैं अंतिम संस्कार
आपको बता दें कि रणजीत पशुओं और वन्य जीवों की भी उतनी ही सेवा करते हैं, जितनी मनुष्यों की करते हैं. कहीं भी घायल पशु दिखें या सूचना मिले तो वह तुरंत पहुंच जाते हैं. उनका इलाज करवाते हैं. कोई पशु, पक्षी या वन्य जीव मर जाए तो विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार करते हैं.

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