सत्यम कुमार/भागलपुर : बिहार राज्य के लिए कृषि विश्वविद्यालय ने अच्छी खबर दी है. अब राज्य के 48 फसलों व व्यंजन को जीआई टैग मिलने वाला है. इसमें कई फसल व कई तरह के व्यंजन शामिल हैं. दरअसल, इसको लेकर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के सबएग्रीस सभागार में राज्य के विभिन्न जिलों में लंबे समय से किसानों द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण फसलों एवं व्यंजनों को जीआई टैग दिलाने को लेकर एक समीक्षा बैठक की गई. बैठक का आयोजन शोध निदेशालय द्वारा किया गया. जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने की.
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण फसलों की खेती एवं व्यंजनों को जीआई टैग प्रदान करवा कर उन्हें राष्ट्रीय पहचान भी दिलाई जाएगी. इस दिशा में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाएगा ताकि देश भर में जीआई टैग के आधार पर राज्य का नाम रोशन हो सके और इसका भरपूर लाभ किसानों को भी मिल सके.
48 फसलों व व्यंजन को मिलेगा जीआई
समीक्षा बैठक में वैज्ञानिकों द्वारा कुल 48 फसलों व व्यंजनों की विशेषताओं को लेकर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया. जिसमें वैज्ञानिक डॉ.अनिल कुमार ने मोकामा का मखाना, मशरूम, डॉक्टर प्रशांत सिंह ने रोहतास के सोना चूर चावल, डॉ.रफत सुल्ताना ने बांका व मुंगेर के पाटम अरहर, डॉ.अनिल कुमार ने भागलपुर के तितुआ मसूर, डॉ.रणधीर कुमार ने पटना के दीघा मालदा आम, डॉ.रविंद्र कुमार ने समस्तीपुर के बथुआ आम, डॉ प्रकाश सिंह ने सहरसा के नटकी धान, डॉ.के के प्रसाद ने रोहतास के गुलशन टमाटर, डॉ विनोद कुमार ने गोपालगंज के थावे का पुरुकिया, डॉक्टर तुषार रंजन ने सुपौल के पिपरा का खाजा और डॉक्टर सीमा ने पटना के रामदाना लाई पर अपना पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया. जिसे समीक्षा बैठक में मंजूरी दी गयी. इसके साथ ही अन्य कई चीजों को मंजूरी मिली है.
6 माह में सभी उत्पाद को मिलेगा जीआई
राज्य सरकार के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन बीते 6 माह से अपने वैज्ञानिकों के साथ राज्य भर के विभिन्न जिलों के महत्वपूर्ण उत्पादों को जीआई टैग प्रदान करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है. आने वाले वर्षों में अपने विभिन्न महत्वपूर्ण उत्पादों को लेकर देश भर में बिहार भौगोलिक सूचकांक की सूची में अपना अव्वल स्थान हासिल करने में सफल हो पाएगा. वहीं सजदा ने सिंदूर के पौधे पर अपना पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन प्रदान किया. जिसकी बैठक में मंजूरी मिली है.
इससे पूर्व भी कई उत्पाद को मिल चुका है जीआई
बिहार के कई उत्पाद को पहले से ही जीआई टैग मिला चुका है. भागलपुर के कतरनी चूड़ा, कतरनी चावल व जर्दालु आम को जीआई टैग मिला है तो वहीं मगध के पान को भी जीआई टैग मिल चुका है.
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FIRST PUBLISHED : April 10, 2024, 23:03 IST