कुमाऊं में होली की अद्भुत परंपरा! देश-दुनिया में होती है इसकी चर्चा, जानें पूरा इतिहास

रोहित भट्ट/अल्मोड़ा. होली एक ऐसा त्योहार जो पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. जिसमें सब लोग अपने गिले-शिकवे भूलकर होली मनाते हैं. इस बार होली 25 मार्च को है. तमाम जगहों पर होली का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. अगर हम बात करें राजस्थान के जयपुर की तो वहां की होली भी बेहद खास है. वहां बरसाने की तर्ज पर लठमार होली देखने को मिलती है. जयपुर के कई मंदिरों में जाकर लोग होली मनाते हैं. जयपुर की तरह ही उत्तराखंड के अल्मोड़ा की होली बहुत खास है. शास्त्रीय संगीतों पर आधारित बैठकी होली वर्ल्ड फेमस है. माना जाता है कि अल्मोड़ा की होली सबसे पुरानी है.

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में बैठकी होली पौष माह के पहले रविवार से ही शुरू हो जाती है. देर शाम से रात तक यह चलती है. कुमाऊं में जगह-जगह शास्त्रीय संगीत पर आधारित होली गायन इसे खास बनाता है. उत्तराखंड राज्य में खड़ी और बैठकी दो तरह की होली मनाई जाती है. बैठकी होली में होल्यार अपनी जगह पर बैठकर होली के गीत गाते हैं और खड़ी होली में चलते हुए गीतों की प्रस्तुति दी जाती है.

पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है परंपरा
वरिष्ठ रंगकर्मी त्रिभुवन गिरी महाराज ने बताया कि उन्होंने राजस्थान की होली देखी तो नहीं है पर उसके बारे में सुना काफी है. कृष्ण रूपी प्रेमी महिलाओं के ऊपर होली के दिन रंग डालते हैं और महिलाएं इसका प्रतिकार करती हैं. जिसमें लाठी या फिर सोठा पुरुषों के ऊपर मारती हैं. होली का यह रूप ब्रज में भी देखने को मिलता है. उत्तराखंड के अल्मोड़ा की भी होली बेहद खास मानी जाती है. शास्त्रीय संगीत पर आधारित यहां की बैठकी होली आज सभी जगह पर फेमस है. बैठकी होली शास्त्रीय संगीत की बैठकों की तरह होते हुए भी लोगों से इस प्रकार जुड़ी है कि उस महफिल में बैठा हुआ हर व्यक्ति अपने को कलाकार या गायक मानने लगता है. यानी मंच और श्रोता के बीच कोई दूरी नहीं होती है. विभिन्न रागों से सजी बैठकी होली की इस परंपरा में अनगिनत ऐसे गीत हैं, जिन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी गाया जा रहा है

बैठकी होली की विशेषता
त्रिभुवन गिरी महाराज ने बताया कि बैठकी होली शास्त्रीय संगीत पर आधारित है. यहां पर पूरी रात भर लोग होली के गायन को करते हैं. कुमाऊंनी संस्कृति में बैठकी होली का अलग ही महत्व है. माना जाता है कि 15वीं शताब्दी से यहां होली गायन की इस परंपरा की शुरुआत हुई. चंद वंश के शासनकाल में यह चंपावत से शुरू हुई और धीरे-धीरे सभी जगह फैल गई. बैठकी होली भगवान गणेश के पूजन से शुरू होती है.

Tags: Almora News, Holi celebration, Local18, Uttarakhand news

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