इंफाल: मणिपुर सरकार ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को लेकर एक नया नियम लागू किया है. इसके तहत अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी बिना वैध कारणों के कार्यस्थल से गायब रहेगा, तो उसे वेतन नहीं मिलेगा. मणिपुर सरकार ने बुधवार को अपने उन कर्मियों के लिए ‘काम नहीं, तो वेतन नहीं’ व्यवस्था शुरू की, जो ‘बिना वैध एवं स्वीकृत कारणों’ के कार्यालयों से अनुपस्थित रहे हैं. इस नियम के जरिए सरकार कर्मचारियों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है.
इस संबंध में सरकार ने आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है. कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा जारी कार्यालय परिपत्र में कहा गया, ‘‘जो अधिकारी राज्य में वर्तमान कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते तैनाती के स्थान पर कार्यालय जाने में असमर्थ हैं, उन्हें उपायुक्त/लाइन विभाग/ क्षेत्र स्तरीय कार्यालय से संबद्ध किया गया था, ताकि वे वहां से काम कर सकें या उन्हें संबंधित उपायुक्त अथवा इस संबंध में अधिकृत ऐसे अधिकारियों द्वारा जो जिम्मेदारियां सौंपी जाए उनका निर्वहन कर पाएं.’’
परिपत्र में कहा गया है कि ऐसी खबरें हैं कि ‘‘संबद्ध किये गये ऐसे कई अधिकारी उन कार्यालयों में नहीं जा रहे हैं, जहां उन्हें संबद्ध किया गया है या वे ड्यूटी पर रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं.’’ परिपत्र के अनुसार उपायुक्तों एवं विभागों के प्रमुखों को ऐसे ‘संबद्ध अधिकारियों’ की उपस्थिति दर्ज करने के लिए पंजिका बनाकर रखने को कहा गया है. इस रिकार्ड को ‘ अनुचित आचरण, यदि कोई है तो, की रिपोर्ट’ के साथ उन अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा, जिनपर वेतन वितरण की जिम्मेदारी है.
मणिपुर में पिछले साल मई में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा पूरी तरह शांत नहीं हुई है. अब भी राज्य रुक-रुककर हिंसा की खबरें आती रहती हैं. मणिपुर हिंसा में अब तक सैकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं. बीते 4 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने विधानसभा में बताया कि राज्य में अवैध तरीके से घुसे 6746 म्यांमार प्रवासियों में से 259 को उनके देश वापस भेज दिया गया है. उनका बायोमेट्रिक लेने के बाद यह कार्यवाही की गयी.
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FIRST PUBLISHED : March 7, 2024, 04:18 IST