उदयपुर. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की शौर्यता की गाथाएं इतिहास में अमर हैं. आज हम आपको राणा प्रताप के उस स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जहां 14 वर्ष की उम्र में उनका राजतिलक किया गया था. यह स्थल पर्यटन विभाग की ओर से डेवलप किया गया है.
महाराणा प्रताप के राजतिलक स्थल पर पर्यटकों के लिए गार्डन और झूले की व्यवस्था भी की गई है. ताकि पर्यटक मजे के साथ शौर्य इतिहास को भी जान सके.
राजतिलक की गाथा
इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं उदयपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर गोगुंदा कस्बे में महाराणा प्रताप का राज तिलक किया गया था. उनके पिता महाराणा उदय सिंह की 28 फरवरी 1572 में निधन हो गया. इसके बाद राणा प्रताप का राजतिलक गोगुन्दा के श्मशान क्षेत्र में महादेव मंदिर की बावड़ी के पास किया गया था. आज भी यह ऐतिहासिक बावड़ी मौजूद है. मेवाड़ के जागीरदारों को यह डर था कि उदय सिंह की मृत्यु के बाद कोई और महाराणा की उपाधि न ले ले. इस वजह से राणा प्रताप का राज्याभिषेक शमशान क्षेत्र में ही कर दिया गया.
महल छोड़कर जंगल में रहे महाराणा
जब महाराणा प्रताप का राजतिलक हुआ उन्होंने मेवाड़ी शान बनाए रखने के लिए महल तक छोड़ दिया. उनके साथ उनकी रानियों ने भी महलों का सुख त्याग दिया और जंगल में रहने लगे. गोगुंदा के पास ही मौजूद मायरा की गुफाओं में महाराणा प्रताप ने अपना शास्त्रागृह बनाया था. इसके बाद हल्दीघाटी के युद्ध में मुगलों की सेना से लोहा लिया था.
FIRST PUBLISHED : June 8, 2024, 19:04 IST