Women Day’s Special: महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी दुनिया में कम, लेकिन गांव मार रहे बाजी, शहरों में बदल रहे हालात

International women’s day: महिलाओं को लेकर सरकार द्वारा शुरू और सही तरीके से लागू की गई तमाम योजनाओं के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी दुनिया में सबसे कम है. सरकार द्वारा कुछ समय पहले जारी की गई लेबर फोर्स सर्वे रिपोर्ट (Periodic Labour Force Survey) के मुताबिक, महिलाओं का अक्टूबर-दिसंबर 2023 में कार्यबल में पार्टिसिपेशन बढ़ा है जोकि एक उत्साहजनक आंकड़ा है. भारत की रैंकिंग 2023 में 146 देशों में से इथियोपिया, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल के बाद 127 थी. विश्व बैंक के अनुसार, वर्कफोर्स में भागीदारी के मामले में भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) वैश्विक औसत 47.3 प्रतिशत से लगभग आधी है.

लेटेस्ट पीएलएफएस बताती है कि पुरुषों का अर्बन एरियाज में एलएफपीआर अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 74.1 प्रतिशत देखा गया जबकि महिलाओं का शहरी एलएफपीआर 25 प्रतिशत था. यह पुरुषों के मुकाबले भले ही कम है लेकिन यह कुछ खास पैरामीटर पर बेहतर है. हमारी सहयोगी साइट मनीकंट्रोल ने इस बाबत लिखा है कि 2018 के मिड में 19 प्रतिशत से कम से बढ़कर 2020 की शुरुआत में 21 प्रतिशत से ऊपर पहुंचने के बाद महिला एलएफपीआर कोरोनोवायरस के कारण अप्रैल-जून 2020 में गिरकर 19.6 प्रतिशत हो गया था. पर फिर 2021 की अंतिम तिमाही में 20.2 प्रतिशत से महिला शहरी एलएफपीआर अगले कुछ कैलेंडर वर्षों में क्रमशः 22.3 प्रतिशत और 25 प्रतिशत पर आ गया था. महिलाओं और पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी ऐसी ही अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकती हैं.

महिला बेरोजगारी दर में गिरावट

इस मामले में महिलाओं से जुड़े आंकड़े उत्साही हैं. अक्टूबर-दिसंबर 2021 में 10.5 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर-दिसंबर 2022 में 9.6 प्रतिशत और अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 8.6 प्रतिशत हो गई. 2022 में यह संभली. इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि अक्टूबर-दिसंबर 2021 में महिला बेरोजगारी दर में गिरावट देखी गई. अक्टूबर-दिसंबर 2021 में 10.5 प्रतिशत से अक्टूबर-दिसंबर 2022 में 9.6 प्रतिशत और दिसंबर-दिसंबर 2023 में 8.6 प्रतिशत का इजाफा देखा गया. (ये भी पढ़ें- महिलाओं के लिए बेस्ट क्रेडिट कार्ड कौन सा, लेने से पहले कर लें सारी एंक्वॉयरी, जान लें सारे बेनिफिट)

वेतनभोगी नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी घटी

स्व-रोजगार कैटिगरी में महिलाओं का अनुपात 2022 की पहली तिमाही में 35.3 प्रतिशत से बढ़कर 2023 की अंतिम तिमाही में 40.3 प्रतिशत हो गया. इसमें घरों में अनपेड हेल्पर भी शामिल है. कैज़ुअल लेबर में महिलाओं का प्रतिशत 8.1 प्रतिशत से घटकर 6.7 प्रतिशत हो गया है. लेकिन, चिंता की बात यह है कि वेतनभोगी नौकरियों में अब उनकी हिस्सेदारी 53 प्रतिशत है, जो जनवरी-मार्च 2022 में 56.7 प्रतिशत थी. स्व-रोजगार के आंकड़े में इजाफा और सैलरीड नौकरियों वाली महिलाओं के अनुपात में गिरावट से पता चलता है कि जो नौकरियां ली जा रही हैं उनकी गुणवत्ता कम है.

इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के अनिवासी वरिष्ठ फेलो बिश्वनाथ गोलदार और मानव विकास संस्थान में विजिटिंग प्रोफेसर सुरेश चंद अग्रवाल के मुताबिक, कृषि में ग्रामीण महिलाओं के लिए ज्यादातर नई नौकरियां (स्वरोजगार या और) ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में नॉन- एग्रीकल्चर गतिविधियों में ग्रामीण पुरुषों के लिए नौकरी के बढ़ते अवसरों से पैदा हुई है.

अशोक विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर अश्विनी देशपांडे ने दिसंबर 2023 में एक पेपर में लिखा था कि आम तौर पर कैजुएल लेबर से रेगुलर पेड लेबर की ओर बदलाव वर्किंग कंडिशन में सुधार का संकेत देता है. हालांकि, भारतीय डेटा इस बदलाव को नहीं दिखाता है. कृषि में सेल्फ एंप्लॉयमेंट में वृद्धि छिपी हुई बेरोजगारी या अल्प-रोज़गार को प्रतिबिंबित कर सकती है. इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनमिक ग्रोथ में लिखे पेपर में गोलदार और अग्रवाल कहते हैं- ये मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में वृद्धि और इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को दर्शाता है. इसने कृषि में पुरुष श्रमिकों को नॉन एग्रीकलचरल कामों में ट्रांसफर कर दिया. जिसके चलते, ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए.नो

Tags: Business news in hindi, Employment News, International Women Day, Investment, Ministry of Labour and Employment

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