रिपोर्ट-सत्यम कुमार
भागलपुर. लोकसभा चुनाव का पूरा माहौल सज चुका है. नेताजी अपने लबाजमे के साथ प्रचार पर निकल पड़े हैं. फैशन और आधुनिकता की छाप प्रचार अभियान में भी दिख रही है. प्रचार के आधुनिक तौर तरीकों के बीच कुछ पारंपरिक भी है जो आज भी हिट है. हम बात कर रहे हैं गांव में पहने जाने वाले गमछे की. चुनाव प्रचार में भी ये पारंपरिक परिधान छाया हुआ है. 28 लाख के गमछे बनाने का ऑर्डर भागलपुर के बुनकरों को मिला है.
भागलपुर के सिल्क उद्योग में गिरावट और बुनकरों की दयनीय हालत तो हम सब जानते हैं. यूं तो बुनकरों की स्थिति हमेशा दयनीय बनी रहती है. पर्व- त्योहार के समय इसमें कुछ सुधार जरूर हो जाता है. इन बुनकरों के लिए चुनाव भी किसी त्योहार से कम नहीं है. लोकसभा चुनाव आते ही बुनकरों की झोली में खूब काम आने लगे हैं. नेताजी और उनके समर्थक भागलपुर में बने गमछे गले में डालकर घूम रहे हैं. बुनकरों को अच्छा खासा ऑर्डर भी मिल गया है.
28 लाख गमछों का ऑर्डर
बुनकर आलोक कुमार बताते हैं कि भागलपुर के गमछे की ही क्यों मांग रहती है. इसमें क्या खास है. दरअसल भागलपुरी गमछा अन्य गमछों के मुकाबले साइज में बड़ा होता है. इसकी बनावट अच्छी होती है और सस्ते दाम में मिल जाता है. लोग यहां के कपड़े को अत्यधिक पसंद करते हैं. इसलिए देश के कई राज्यों में लोकसभा चुनाव के लिए गमछे का ऑर्डर मिल गया है. पिछले बार के मुकाबले इस बार दो गुना ऑर्डर मिला है. 20 लाख पीस से अधिक भगवा गमछा, 8 लाख पीस हरा गमछा का ऑर्डर मिला है. कुर्ते की भी काफी मांग है. इसलिए बुनकर कुर्ता बनाने में व्यस्त हैं.
सस्ता सुंदर टिकाऊ गमछा
राजनीतिक दल और नेता चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं और बुनकर रात दिन गमछा बनाने में लगे हुए हैं. यह ऑर्डर छत्तीसगढ़, बंगाल, उड़ीसा, बिहार समेत झारखंड से आया है. सबसे अधिक इस बार बंगाल से गमछे बनाने का ऑर्डर मिला है. ये गमछे महज 60 रुपए से लेकर 120 रुपए तक में तैयार हो जाते हैं. यहां के गमछे की एक खासियत है कि इसका कपड़ा काफी मुलायम होता है. इससे शरीर में किसी तरह की एलर्जी नहीं होती.
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FIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 19:29 IST