साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित किए जा रहे विश्व के सबसे बड़े साहित्योत्सव का आज विधिवत उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया. साहित्योत्सव 2024 का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य लेखन एक अलग ही कला है और साहित्यकार एक साधक होता है. साधक साहित्यकार ही एक बेहतर संस्कृति का, एक बेहतर समाज का और एक बेहतर देश का निर्माण करते हैं.
अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि साहित्य का उन पर भी बहुत प्रभाव हुआ है और उसी के कारण उन्होंने जीवन में मीठा बोलना सीखा है. उन्होंने मैथिलीशरण गुप्त और अन्य कवियों की पंक्तियों का उदाहरण देते हुए कहा कि साहित्य मनुष्य में विवेक पैदा करता है, जिसकी राष्ट्र-निर्माण में बड़ी भूमिका होती है. उन्होंने अपनी पत्नी पर लिखी पुस्तक के बारे में चर्चा की. उन्होंने साहित्य अकादमी को दुनिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव आयोजित करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है और इसका प्रभाव बहुत व्यापक होगा.
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि भारत भाषाओं का सबसे बड़ा संग्रहालय है और साहित्य अकादमी उसके संरक्षण का कार्य बहुत ही गंभीरता से निभा रही है. साहित्योत्सव द्वारा लेखकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा मंच प्रदान करने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारी भाषाओं की विविधता के कारण ही हमारे सोच की परिधि भी बहुत व्यापक है, जिसका लाभ देश की एकता को बनाए रखने में बेहद उपयोगी साबित होता है.
अकादमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि यह साहित्योत्सव सृजन का उत्सव है और यह मनुष्यता को एक बार फिर से आवाज़ देने का प्रतीक भी है. शब्दों की गूंज के आलोक में हमारी शब्दों की संस्कृति भी आलोकित होगी.
साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने साहित्य अकादमी की विगत वर्ष की उपलब्धि के बारे में बताते हुए कहा कि यह साहित्य अकादमी के 70 वर्ष और साहित्योत्सव का 40वां वर्ष हैं. किसी साहित्योत्सव का निरंतर 40 वर्ष तक देश के विविधतापूर्ण साहित्य को निरंतर गतिमान बनाए रखना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. सही मामलों में यह भारतीय भाषाओं का उत्सव है.
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 14:14 IST