अर्पित बड़कुल/दमोह: MP के दमोह जिले के अधिकांश इलाकों में पाये जाने वाला बेशर्म का पौधा आयुर्वेद में बड़ा महत्व रखता है. इस पौधे का नाम भले ही बेशर्म है,लेकिन चर्म रोग को जड़ से खत्म करने की रामबाण दवा है. इसके पत्तों से निकलने वाले दूध को चर्म रोग पर करीब 6 से 7 दिनों तक लगाने स्कीन पहले की तरह स्वस्थ हो जाती है. ये जहरीला पौधा आयुर्वेद में चर्म रोग के लिए फायदेमंद (Treats Skin Problems) बताया गया है. इसमें पाए जाने वाले एंटीफंगल गुण चर्म रोग को पूरी तरह से ठीक करने में सक्षम होते हैं.
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ अनुराग अहिरवार ने कहा कि इस पौधे की जड़ को उखाड़कर और सुखाकर पीस लें. उसमें कपूर और कोकड़े का तेल मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं. इससे विटिलिगो जैसे चर्म रोग भी ठीक हो सकते है. तो और बेशर्म दाद को भी ठीक करने में बहुत लाभदायक माना जाता है. इसके पत्ते त्वचा संबंधी अन्य कई विकारों में भी काम आते हैं.
बिच्छू का जहर शरीर में नहीं देता है फैलने
पुराने वैद्य इसका इस्तेमाल चर्म रोग से लेकर एग्जाम तक के उपचार में प्रयोग करते हैं. इसका इस्तेमाल पैरों में आने वाली सूजन को कम करने में किया जा सकता है. यह पौधा बिच्छू के जहर को फैलने से भी रोक सकता है. कई वैद्य बिच्छू के काटने पर इसके दूध का इस्तेमाल करते हैं, जिससे बिच्छू का जहर शरीर में फैल नहीं पाता. फोड़े-फुंसी या अन्य त्वचा से जुड़ी समस्याओं के लिए इस पौधे की पत्तियां रामबाण दवा मानी जाती है.
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FIRST PUBLISHED : March 14, 2024, 21:13 IST
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