Opinion: 132 साल बाद ज्ञान की तलाश में नरेंद्र, इम्तिहान के बाद शिला पर ध्यान, मगर विपक्ष है परेशान

बात 1892 की है. स्वामी विवेकानंद पूरे देश का भ्रमण करने के बाद कन्याकुमारी आए थे. यहां समुद्र के बीच में बड़ी शिला पर उन्होंने 25 से 27 दिसंबर तक ध्यान लगाया था जिसका स्वामी विवेकानंद के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा था. यहां से मिली ज्ञान के प्रकाश को उन्होंने पूरी दुनिया में फैलाया. अगले साल यानी 1893 में शिकागो में हुई धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के भाषण ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. उन्होंने दुनिया के तमाम धर्मगुरुओं के समक्ष सनातन धर्म के साथ ही भारतीय संस्कृति का जोरदार तरीके से पक्ष रखा था, जिसे सुन पूरी दुनिया न सिर्फ स्वामी विवेकानंद, बल्कि भारतीय संस्कृति का भी लोहा माना था.

2024 में नरेंद्र का ध्यान
प्रधानमंत्री मोदी के जीवन में स्वामी विवेकानंद के आदर्शों का बड़ा प्रभाव रहा है. वो कई बार इसका जिक्र कर भी चुके हैं और युवाओं को भी स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेने की बात भी करते रहे हैं. उसी कड़ी में पीएम मोदी ने कन्याकुमारी को चुना और विवेकानंद के दिखाए गए रास्तों पर चलकर विकसित भारत के अपने संकल्प को दृढ़ करना चाहते हैं.

विपक्ष क्यों है परेशान?
वैसे तो पीएम मोदी का ये निजी कार्यक्रम है लेकिन विपक्ष पीएम का ध्यान बंटाने में लगा है. विपक्ष ने इसे चुनाव आचार संहिता का सरासर उल्लंघन बताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद भी आखिरी चरण के मतदान को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि, पीएम मोदी हर लोकसभा चुनाव के खत्म होने से ठीक पहले अध्यात्मिक दौरे पर जाते रहे हैं.

2019 में केदारनाथ में ध्यान लगाते पीएम मोदी.

लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव प्रचार थमने के बाद पीएम मोदी केदारनाथ धाम गए थे. वहां उन्होंने रुद्र गुफा में 17 घंटों तक ध्यान लगाया था. लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजों से ठीक पहले पीएम मोदी प्रतापगढ़ गए थे. वे वहां छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करने गए थे. शिवाजी महाराज ने इसी जगह नवंबर 1659 में बीजापुर के आदिलशाही सुल्तानों के सेनापति अफजल खान को मार गिराया था. प्रतापगढ़ में जीत से ही मराठा साम्राज्य के प्रमुख के तौर पर शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का रास्ता साफ हुआ था.

कन्याकुमारी की पवित्र भूमि
स्वामी विवेकानंद (जिन्हें नरेंद्र दत्त के नाम से भी जाना जाता है) ने 1892 में विकसित भारत का सपना देखा था और अब कन्याकुमारी की उसी पवित्र भूमि पर 132 साल बाद भारत के एक और नरेंद्र देश को बुलंदी पर ले जाने का संकल्प ले रहा है. पीएम मोदी अपने तीसरे कार्यकाल को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं. उन्होंने भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने का लक्ष्य भी रखा है. चुनावी नतीजे आने से पहले ही पीएम मोदी ने तीसरे कार्यकाल के लिए कमर कस ली है.

Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Pm modi latest news

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