सौरव पाल/मथुरा: हिंदू नववर्ष की देशभर में मंगलवार से शुरुआत हो गई है. हिंदू नववर्ष के आते ही ब्रज के मंदिरों में एक अनोखी परंपरा को निभाया जाता है. इस मौके पर ब्रज के मंदिरों में भगवान को आने वाले पंचांग को मंदिरों में पढ़ कर सुनाया जाता है. ब्रज में यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. वृंदावन के बांके बिहारी और राधारमण मंदिर में ठाकुर जी के समक्ष मंदिर के पुरोहित आचार्य छैल बिहारी मिश्र ने भगवान को पंचांग सुनाया.
पुरोहित छैल बिहारी मिश्र ने पूरे साल का लेखा जोखा भगवान के समक्ष बोलकर उन्हें सुनाया. इसके साथ ही मंदिर में वर्ष भर होने वाले तिथि, पर्व, उत्सव और त्योहारों का निर्धारण भी किया गया. पुरोहित छैल बिहारी मिश्र ने बताया कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार वर्ष भर में ग्रहों की चाल से होने वाले शुभ- अशुभ समय के प्रभाव से बचाने और ग्रहों का प्रभाव भक्तों पर न पड़े. इसके लिए भगवान के समक्ष पंचांग को पढ़कर सुनाया जाता है. इससे आने वाले साल में कोई दोष या पीढ़ा है तो उसे भगवान दूर कर सकें. इसके अलावा वर्ष भर के तिथि, पर्व, उत्सव और त्योहार का निर्धारण भी इस पंचांग में किया जाता है.
सतयुग से चल रही है परंपरा
उन्होंने बताया कि भगवान को संवत्सर यानी पंचांग सुनाने की परंपरा सतयुग से चल रही है. सतयुग में प्रहलाद जी को सुनाया, त्रेता में राम जी को, द्वापर में भगवान कृष्ण को और अब मंदिर देवालयों में सुनाया जाता है. साथ ही ब्रज में मंदिरों के अलावा सभी बृजवासी अपने घरों में विराजमान भगवान को भी पंचांग पढ़ कर सुनाते हैं.
पंचांग के अनुसार ऐसा रहेगा यह साल
नव संवत्सर 2081 के पंचांग के अनुसार, इस वर्ष गर्मी का प्रकोप रहेगा और बारिश कम होगी. अगर बारिश होगी तो पहाड़ी क्षेत्रों में होगी, जिसके कारण मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा बना रहेगा. इस बार 4 विभाग मंगल के पास हैं, 4 शनि के पास. बांके बिहारी मंदिर के पुरोहित छैल बिहारी मिश्र ने बताया कि शनि और मंगल दोनों तामसी ग्रह हैं, जिसके कारण जनता राजा और अधिकारियों के बीच पिसती रहेगी. राजा कोई योजना बनाएगा तो अधिकारी उसका पालन नहीं करेंगे. अगर अधिकारी कोई योजना बनाकर ले जाएंगे तो राजा उस पर ध्यान नहीं देगा.
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FIRST PUBLISHED : April 9, 2024, 18:23 IST