मनमोहन सेजू/बाड़मेर:- पश्चिम राजस्थान के सरहदी बाड़मेर में माह-ए-रमजान में शुक्रवार को पहले जुम्मे की नमाज अदा की जाएगी. माह-ए-रमजान में जुम्मे की नमाज का विशेष महत्व होता है. कहते हैं कि जुम्मे के दिन साफ-सुथरे और नए कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज पढ़ने से कई गुना अधिक सबाब मिलता है. मान्यताओं के मुताबिक रमजान में जुम्मा को ईद के बराबर माना गया है. देशभर में रमजान का पाक महीना चल रहा है. ऐसे में इस्लाम में जुम्मा यानी शुक्रवार के दिन को काफी खास बताया गया है.
40 नमाज अदा करने का सबाब
मान्यताओं के मुताबिक एक जुम्मे की नमाज अदा करने से 40 नमाज अदा करने का सबाब मिलता है. इसलिए रमजान के पाक महीने में पड़ने वाले जुम्मे का महत्व और बढ़ जाता है. बाड़मेर शहर के जामा मस्जिद में जुम्मे की नमाज अदा की जाती है, जिसमें हजारों मुसलमान नमाज अदा करते हैं और अल्लाह से दुआएँ मांगते है. दरअसल इस दिन लोग एकत्रित होकर एक-दूसरे के साथ अल्लाह की इबादत करते हैं. जुम्मे के दिन को रहमत और इबादत का दिन माना जाता है. इस्लामिक तथ्यों के मुताबिक इस दिन नमाज पढ़ने वाले इंसान के पूरे हफ्ते की गलतियों को अल्लाह माफ कर देते हैं.
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जुम्मे की नमाज का विशेष महत्व
बाड़मेर शहर की जामा मस्जिद के ईमाम मौलाना लाल मोहम्मद सिद्दिकी के मुताबिक रमजान के महीने में जुम्मे की नमाज का विशेष महत्व होता है. जुम्मे की नमाज अदा करने से व्यक्ति को 40 नमाजों का सबाब मिलता है. वह लोकल 18 को बताते हैं कि जुम्मे की नमाज को ईद के बराबर माना गया है, जो काफी पवित्र होता है. इस नमाज के लिए जमात में कम से कम 10 लोगों का होना जरूरी होता है. जुम्मे की नमाज में खुतबा पढ़ा जाता है, जिसे जुमे की नमाज में बेहद जरूरी माना जाता है.
कहा जाता है कि जुम्मे की नमाज अदा करने से अल्लाह व्यक्ति के हर गुनाह को माफ कर देता है और उसकी हर मुराद को पूरी कर देते हैं. आज के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में कुरान पढ़ने के साथ ही गरीबों को कपड़ा और खाना खिलाकर उनकी मदद करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 10:41 IST
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