सागर: एक बेटी ने छोटी सी उम्र में दो बड़े कारनामे कर दिखाएं हैं. जिस उम्र में बच्चे अपना ठीक से नाम नहीं बोल पाते, उस उम्र में उन्होंने कथा व्यास से श्रीमद् भागवत कथा सुनाना शुरू कर दिया था. दूसरा कारनामा अब कर किया, जिसमें उन्होंने 3 साल के अथक परिश्रम के बाद श्रीमद्भागवत महापुराण के 18000 संस्कृत श्लोकों का ऑडियो-वीडियो फॉर्मेट में तैयार किया. जो सस्वर लयबद्ध किए गए हैं. उन्होंने गिनीज वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड के लिए भी अप्लाई किया है.
6 साल की उम्र में सुनाई थी पहली कथा
राजराजेश्वरी देवी ने बताया कि उनके पिता पंडित आचार्य वासुदेव दुबे धर्म श्री संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रहे हैं. इसलिए उन्हें संस्कृत और ग्रंथों का ज्ञान घर में बचपन से ही मिला है. हालांकि, पढ़ाई में उनका विषय संस्कृत नहीं रहा. उन्होंने बीकॉम, एमबीए किया है. बाल अवस्था में ही 2005 में उन्होंने व्यास पीठ संभाल ली थी. इसके बाद से निरंतर मध्य प्रदेश के अलावा देश के 11 राज्यों में कथाएं सुना चुकी हैं.
335 अध्याय में 18,000 श्लोक
राजराजेश्वरी देवी ने आगे बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण में 12 स्कंद और 335 अध्याय हैं, जिसमें 18000 संस्कृत में श्लोक हैं. 18000 श्लोक को ऑडियो-वीडियो फॉर्मेट में लाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी है. क्योंकि, पहले तो कोई इसे करने को तैयार नहीं था. फिर जब कार्य शुरू किया तो 1 साल केवल रिकॉर्डिंग करने में लग गए. दूसरे और तीसरे साल में इसकी अशुद्धियां और त्रुटियों में संशोधन किया गया, अब यह पूरी तरह से तैयार है.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में आवेदन
दावा किया कि श्रीमद्भागवत महापुराण पर अभी तक गूगल या यूट्यूब पर अध्याय या स्कंद देखने सुनने को मिलते हैं. इस तरह से पूरे महापुराण का ऑडियो-वीडियो उन्हें कहीं नहीं मिला है. शायद अभी वह ऐसा करने वाली पहली कथा वाचिका होंगी, इसलिए उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए चार दिन पहले आवेदन किया है.
सबने किया सहयोग
उन्होंने बताया कि पिता, मां लक्ष्मी दुबे के साथ स्थानीय विद्वानों टीकाराम त्रिपाठी, पं रामकुमार खंपरिया सहित अनेक विद्वानों ने इसमें उनकी मदद की हैं. संत रावतपुरा सरकार से भी मार्गदर्शन लिया है. क्योंकि यह भी एक तरह की साधना है.
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FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 16:15 IST