झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट पर भी मतगणना शुरू हो चुकी है. यहां मुकाबला काफी करीबी बताया जा रहा है. भाजपा ने दिग्गज आदिवासी नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने झारखंड के सबसे प्रभावशाली आदिवासी नेताओं में से एक मुचिराई मुंडा के बेटे काली चरण मुंडा को टिकट दिया है. दोनों के बीच जबरदस्त मुकाबला है.
सबसे चर्चित लोकसभा सीटों की बात हो, तो झारखंड की खूंटी का जिक्र जरूर होगा. क्योंकि 1962 से 1984 तक खूंटी लोकसभा सीट पर कांग्रेस और झारखंड पार्टी का दबदबा रहा. लेकिन 1980 के दशक में बाजी पलट गई. भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाया और तब से अब तक सिर्फ एक चुनाव भाजपा यहां से हारी है. वह है 2004 का चुनाव, जब कांग्रेस की सरकार बनी थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में खूंटी लोकसभा अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.
अर्जुन मुंडा दो बार यहां से सांसद रहे
अर्जुन मुंडा दो बार यहां से सांसद रह चुके हैं. 2009 और 2019 में उन्होंने यहां से जीत दर्ज की. वे झारखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. मुंडा उन प्रमुख नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने झारखंड को बिहार से अलग करने की मांग की थी. वे झारखंड के आदिवासी लोगों के बीच भाजपा का एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं. 2019 का चुनाव उनके लिए कठिन था क्योंकि तब वे सिर्फ 1445 वोटों से काली चरण मुंडा को हराने में सफल हो सके थे. उधर, काली चरण मुंडा कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेताओं में से एक माने जाते हैं. वे तमाड़ सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. झारखंड में आदिवासी समुदाय के बीच उन्हें सम्मान की नजर से देखा जाता है.
जातीय समीकरणों का खेल
भाजपा के करिया मुंडा खूंटी लोकसभा सीट से लगातार 5 बार सांसद रहे. सिर्फ 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रही थीं. इस सीट पर मुंडा जनजातियों की बाहुल्यता है. इस धरती को महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जन्मस्थली के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही, खूंटी का नाम महाभारत की कुंती से भी जोड़ा जाता है. खूंटी लोकसभा में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 65 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या लगभग 7 फीसदी है.
FIRST PUBLISHED : June 4, 2024, 24:01 IST