Jagannath rath yatra – News18 हिंदी

शशिकांत ओझा.यहां आस्था की बात होती है. वहां पौराणिक मान्यताएं और कथाएं उभर कर सामने आते है. जगन्नाथ रथ यात्रा का त्योहार नजदीक आ रहा है. इसके लेकर पूरी समेत देश भर में तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं, झारखंड की राजधानी रांची से 165 किलोमीटर दूर पलामू जिले में जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी कहानी बड़ी रोचक और प्राचीन है. क्या आप जानते है?. पलामू जिले में जगन्नाथ रथ यात्रा कब से निकाला जा रहा है.

पलामू जिले के चैनपुर गढ़ से हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा निकाला जाता है. इस वर्ष भी यात्रा को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं, इसके इतिहास की बात करे तो कहानी बड़ी रोचक है. ये तब की बात है. जब भारत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन था. तब चैनपुर गढ़ पर राजा रघुवर दयाल सिंह का राज था. राजा रघुवर दयाल सिंह को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी. उनके सपने में भगवान जगन्नाथ आए थे. जिसके बाद वो पूरी जाकर भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना किए थे. तब उन्हें संतान की प्राप्ति हुई थी. जिनका नाम उन्होंने भगवान जगन्नाथ के नाम पर अपने पुत्र का नाम राजा जगन्नाथ दयाल सिंह रखा. तब से चैनपुर गढ़ से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाला जा रहा है. उन्होंने बताया कि सन 1829 से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाला जा रहा है.

2000 ईस्वी से पलामू में निकाल रही है जगन्नाथ रथ
इस परंपरा को आज भी चैनपुर रियासत के वंशज विवेक भवानी सिंह निभा रहे है. करीब 2000 ईस्वी से पलामू जिले में जगन्नाथ रथ निकाल रहे है. उन्होंने बताया कि इस दौरान नजारा बेहद खास होता है. इसे हर साल उसी परंपरा से निभाया जाता है. रथ यात्रा के एक दिन पहले 56 भोग लगता है. जिसके बाद अगले दिन रथ यात्रा चैनपुर बाजार से होते हुए, मौसी बाड़ी कुसुमदाहा मंदिर तक जाता है. इस दौरान ढोल नगाड़ा और वाद्य यंत्रों के साथ रथ यात्रा निकाला जाता है. पहले के समय में पूरी से हीं भगवान जगन्नाथ का प्रसार मंगाया जाता था.

यहां से निकलते है चार रथ
हर जगह तीन रथ निकलते है.मगर चैनपुर गढ़ से चार रथ निकाले जाते है. यह रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के साथ तीन अलग अलग रथ पर निकाला जाता है. यहां एक और रथ निकाला जाता है. जो शुरू से हीं निकाला जा रहा है. पहले के समय में राज घरानों के बच्चो में हुलस रहती थी. उसे लेकर बच्चो के लिए छोटा रथ निकालने की परंपरा शुरू हुई. जो आज भी निकलती है. इस दौरान चैनपुर गढ़ से मौसी बाड़ी तक सजाया जाता है. नजारा बिलकुल मेले जैसा होता है.चैनपुर में इसे बड़े पर्व की तरह मनाया जाता है.

शाम 5 बजे निकलेगी रथ यात्रा
अबकी बार हर साल की तरह इस साल भी शाम 5 बजे रथ यात्रा निकाला जाएगा.इस दौरान जगह जगह अनरसा का दुकान सजा रहता है. इस दूसरा श्रद्धालु प्रसाद के रूप में अनरसा चढ़ाते है. हर साल तीन दिन तक भगवान जगन्नाथ मौसी बाड़ी में तीन दिन तक विश्राम करते थे. इस बार दस दिन तक मौसी बाड़ी में विश्राम करेंगे. इसके बाद वापस चैनपुर गढ़ में स्थित मंदिर में लौटेंगे.

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