लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा:- रथयात्रा को लेकर पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर में जेष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान जगन्नाथ स्वामी को महास्नान कराया गया है. इस महास्नान के बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं और उसके 15 दिनों के बाद सीधे रथ यात्रा के दिन भगवान दर्शन देते हैं. लेकिन जांजगीर चांपा जिले के शिवरीनारायण में स्थित मठ मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वामी को महास्नान जेष्ठ पूर्णिमा को नहीं, बल्कि आषाढ़ के पहले पक्ष के एकादशी के दिन महास्नान कराया जाता है.
इस दिन रथ पर सवार होकर देंगे दर्शन
इस संबंध में शिवरीनारायण मठ मंदिर के पुजारी त्यागी महाराज ने लोकल18 को बताया कि भगवान शिवरीनारायण मठ मंदिर में महाप्रभु जगन्नाथ को महास्नान आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन कराने की परंपरा है. इस वर्ष 02 जुलाई को यह तिथि पड़ेगी. इस दिन मठ मंदिर में भगवान को महास्नान कराया जाएगा, जिसके बाद भगवान को मुख्य मंदिर से ले जाकर अलग से मंदिर में रखा जाएगा. उनका इलाज जड़ी-बूटी से बने हुए काढ़े से किया जाएगा और पांच दिन बाद 07 जुलाई को रथयात्रा के दिन भगवान स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देने रथ में सवार होकर अपने मौसी के घर जाएंगे.
भगवान के बीमार होने पर लगता है ये भोग
त्यागी जी महाराज ने Local18 को बताया कि शिवरीनारायण मंदिर में यह परंपरा 500 वर्षों से चली आ रही है. पहले के महंतों ने आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही भगवान को महास्नान कराया है, उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए शिवरीनारायण मठ मंदिर में भगवान को महास्नान कराया जाता है. इस दिन ज्यादा नहाने के कारण भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व माता सुभद्रा बीमार हो जाते हैं. शिवरीनारायण मठ मंदिर में पूरे वर्ष भगवान जगन्नाथ जी को महाप्रसाद, और भोजन ( चावल, दाल,सब्जी) दूध का भोग लगाया जाता है. लेकिन महास्नान कराने के बाद भगवान के बीमार होने पर लौंग, इलायची, सोंठ, पीपर, अंजवाइन, दालचीनी, काली मिर्च, गुड़ को उबालकर बना काढ़ा, हल्दी युक्त दूध और फलों की जूस, औषधीय से बने लड्डू के भोग लगाएं जाते है.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 11:54 IST