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IIT professor chetan is giving the message of environmental protection by living in a solar bus – News18 हिंदी

इंदौर राधिका/कोडवानी. लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए बस से यात्रा पर निकले मुंबई आईआईटी के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी इन दिनों इंदौर में है. लोकल 18 से बात करके उन्होंने करीब 4 साल की तय की गई यात्रा के बारे बताया. सोलर मैन कहलाने वाले प्रोफेसर चेतन सोलंकी अब सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता के साथ एक और मिशन में जुट गए हैं. वे लोगों से अपील कर रहे हैं कि कम से कम एनर्जी में जीवन जीने को ही अपना फैशन बना लें. इतना ही नहीं, अब वे लोगों को सोलर एनर्जी अपनाने के साथ-साथ ये भी समझाते हैं कि फ्रिज और एसी को बाय-बाय कर दें. सप्ताह में एक बार कपड़े भी बगैर प्रेस किए हुए पहनें और कहे रिंकल अच्छे हैं. वे कहते हैं कि लोगों को समझने की जरूरत है कि किसी एक की कोशिश से नहीं होगा बल्कि सभी के साथ आने से ही पर्यावरण को बचाया जा सकता है.

लगभग चार साल पहले प्रोफेशन से 11 साल का ब्रेक लेकर नवंबर 2020 में ऊर्जा स्वराज यात्रा शुरू की है. इस यात्रा में समझ आया कि ग्रामीणों से ज्यादा शहर के लोगों को समझने की जरूरत हैं कि क्लीन एनर्जी के जरिए किस तरह से ग्रीन इंडिया के कॉन्सेप्ट को पूरा कर अपना योगदान दे सकते हैं. इतना ही नही, अब लोगों को सोलर एनर्जी अपनाने के साथ-साथ ये भी समझाते हैं कि फ्रिज और एसी को बाय-बाय कर दें, अब तक लगभग 11 राज्य में पहुंच पाया हूं, हर दिन हर घंटे की खबर रखता हूं ताकि प्रकृति के लिए कुछ कर सकू. यात्रा लगभग 50 हजार किमी से ज्यादा की हो चुकी है. लगभग 1000 गांवों में जा चुके हैं. यह यात्रा 2030 में खत्म होगी. बस में ड्राइवर के अलावा 2 साथी भी होते है. पूरी तरह से सोलर बस है. जिसमे जरूरत की सभी चीजे है. परिवार भी बिजली की तमाम सुख सुविधा को त्याग चुका है. मध्य प्रदेश में होता हूं तो हर 2- 4 में मिलने आते हैं. उनका सहयोग मायने रखता है.

करीब ढाई लाख लोग जुड़ गए हैं
भारत सरकार की सोलर एनर्जी के ब्राड एंबेस्डर सोलंकी ने कहा कि सोलर मिशन की वजह से सोलर मैन का नाम मिला है. इस अभियान में अब तक ढाई लाख लोग इनके साथ जुड़ गए हैं. चेतन की सबसे बड़ी चिंता फिलहाल देश में डीजल और कोल बेस्ड पॉवर प्लांट्स और फैक्ट्रीज हैं, जो अब भी देश के उर्जा खपत का 85 प्रतिशत है. इससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है और जलवायु को नुकसान पहुंच रहा है. यूरोप में भी सोलर एनर्जी पर काम हो रहा है, डेनमार्क में सबसे ज्यादा लेकिन भारत भी पीछे नहीं है. अभी तक कोई भी प्रदेश पुरी तरह से सोलर प्रदेश नहीं बना. लोगों को लगता है कि बारिश में सोलर किसी काम का नही है. मगर ऐसा नहीं है, बारिश के दिनों में उसका अनुपात करीब 30 फीसद तक गिरता है, जिसकी आपूर्ति तेज धूप से हो जाती है.

एजुकेशन पार्क क्या है
चेतन बताते है कि भीकन गांव के पास ही 2010 में ही सोलर एनर्जी के तहत पहला स्कूल खोला गया. जिसका नाम एजुकेशन पार्क रखा. यहां 15किलो वाल्ट का सिस्टम लगाया. जिससे स्कूल को लाइट मिलती और रात में टीचर्स और केयटेकर के परिवार को. 14 एकड़ में फैला हुआ ये स्कूल रोजाना 20-25 यूनिट खर्च करता है. इसे बंजर जमीन पर बनाया गया लेकिन अब इस पर करीब 3500 पौधे हैं. इसे खासतौर पर बच्चों की सुविधा के मुताबिक तैयार किया गया ताकि हर बच्चे को शिक्षा मिले. इसके प्लांट भी विदेश से आए थे. इस तरह के स्कूल खुलना चाहिए. 12वीं तक सीबीएसई बोर्ड के तहत संचालित हो रहे इस स्कूल में 1000 से ज्यादा बच्चे हैं. ऐसे एनर्जी में स्वराज्य लाने वाले स्कूल की जरूरत है.

Tags: Indore news, Latest hindi news, Local18, Madhya pradesh news

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