दीपक कुमार/बांका. एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी, कड़ी मेहनत ही आपकी सफलता की कुंजी है. इसे चरितार्थ किया है बांका के नुनेश्वर मरांडी ने. जिन्होंने पथरीली भूमि को हरा भरा कर दिया है. ये वही शख्स हैं जिन्हें ग्रीन मैन ऑफ बांका कहा जाता है. बांका जिला के चांदन प्रखंड अंतर्गत बाबूमहल गांव निवासी नुनेश्वर मरांडी की बागवानी को देख आपका मन भी हरा भरा हो जाएगा. उन्होंने 28 साल से लगातार कड़ी मेहनत कर एक लाख से अधिक पौधे लगाए हैं. इसमें 15000 से अधिक फलदार पौधे भी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इनकी बागवानी का भ्रमण कर चुके हैं. वे बताते हैं कि पूर्वजों की 40 हेक्टेयर भूमि बंजर पड़ी हुई थी. साल 1992 में वे अपने एक दोस्त की बागवानी देखने गए और वापस आने के बाद पुश्तैनी बंजर जमीन पर पौधा लगाना शुरू कर दिया. यह सिलसिला आजतक जारी है.
नुनेश्वर मरांडी बताते हैं कि पूर्वजों की पथरीली जमीन पर ना के बराबर खेती होती थी. बहुत मेहनत करने के बाद किसी प्रकार से गेहूं और धान की थोड़ी-बहुत उपज हो पाती थी. इस कारण से उन्हें काफी परेशानी होती थी. इसी दौरान एक बार वे अपने दोस्त से मिलने सिमुलतला गए. वहां उनकी बागवानी को देखकर इतना प्रभावित हुए कि मन में ठान लिया कि अब तो बागवानी ही करनी है. फिर क्या, बंजर भूमि में बागवानी करना शुरू कर दिए. आज वे हरी सब्जियों की खेती करने से लेकर फलदार और फर्नीचार बनाने में इस्तेमाल होने वाले पेड़ों की बागवानी कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है. उनके बगीचे में आपको हर नस्ल के फलदार पौधे दिख जाएंगे. जबकि लगभग 1 लाख से अधिक अर्जुन के पेड़ हैं.
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40 वैरायटी के डेढ़ हजार हैं आम के पेड़
वे बताते हैं कि हमारे यहां आम के 40 वैरायटी के डेढ़ हजार से अधिक पेड़ हैं. जबकि, अमरूद के 4500 पेड़, 500 से अधिक नींबू की पौधे, शरीफा और तेजपत्ता के पेड़ भी हैं. नुनेश्वर बताते हैं कि बागवानी से उन्हें काफी फायदा हो रहा है. सालाना 10 लाख से ज्यादा की कमाई तो होती है, आसपास के क्षेत्र में हरियाली भी आ गई है. वे कहते हैं कि भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री भी उनके बगीचे के अमरूद का स्वाद चख चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 18, 2024, 13:47 IST