अनंत कुमार/गुमला. गुमला जिला हसीन वादियों के बीच बसा है.यहां बहने वाली नदियां, ऊंचे नीचे पहाड़,पेड़ पौधे,ऐतिहासिक धरोहर ,ऐतिहासिक धार्मिक पूजा स्थल ,यहां तक की राष्ट्रीय धरोहर में शामिल नवरत्न गढ़ का किला इत्यादि कई चीजें यहां देखने लायक है.जो जिला की खुबसूरती में चार चांद लगाते हैं. यहां दक्षिणी कोयल व शंख नदी की कल-कल बहती जलधारा ,ऊंचे-ऊंचे पहाड़ ,सुग्रीव गुफा, चांद गुफा ,जंगलों के बीच बसे गांव, हरे भरे पेड़, चारों ओर हरियाली, पक्षियों की चह-चहाहट, विभिन्न धार्मिक स्थल जैसे हनुमान जी की जन्मस्थली आंजन धाम, टांगीनाथ धाम, देवाकीधाम, महामाया मंदिर, वासुदेव कोना, महासदाशिव इत्यादि.
इसके साथ ही गोब्बरसिल्ली, पंपापुर, नागफेनी, बाघमुंडा, हीरादह इत्यादि यहां की पहचान है. ऐसा लगता है कि गुमला को प्राकृति ने बड़े फुर्सत से संवारा है. जिस कारण गुमला जिला की अपनी एक अलग पहचान है. गुमला में अभी भी प्राकृतिक के साक्ष्य के रूप में कई ऐसी चीजें हैं जो अब तक रहस्य बनी हुई है. जैसे गोब्बरसिल्ली ,निर्झर आदि.गुमला में विरासत के रूप में ऐसे कई ऐसी धरोहर है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
यहां पानी कभी नहीं है घटता
यह जिला के पालकोट प्रखंड में स्थित है.जिला मुख्यालय से लगभग 27 किमी की दूरी में है. जो पंपापुर के नाम से विख्यात है. यहीं मौजूद निर्झर है. निर्झर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि चाहे कोई भी मौसम हो यहां पानी कभी नहीं घटता है.पानी का स्रोत में अबतक रहस्य है. इसके साथ ही यहां पानी के बीच अपरूपी शिवलिंग भी विराजमान हैं. इसलिए सभी लोग निर्झर से खाली पैर पानी भरते हैं.
ठंड के दिनों में गर्म हो जाता है पानी
स्थानीय निवासी सुखदेव गोप ने लोकल 18 से कहा कि गुमला के पालकोट प्रखंड स्थित निर्झर पालकोट वासियों के लिए वरदान है. पूरे प्रखंड के लोग इसी निर्झर का पानी पीते हैं. यहां तक की होटलों तक में भी यहीं का पानी प्रयोग किया जाता है. पानी का स्रोत कहां है. यहां कहां से पानी आता है. यह अब तक रहस्य है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यहां जितनी अधिक गर्मी पड़ती है पानी उतना ही अधिक ठंडा होते जाता है. ठंड के दिनों में पानी हल्का गर्म रहता है. काफी दूर-दूर से यहां पर्यटक प्राकृतिक की इस अदभुत छटा देखने के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 29, 2024, 15:11 IST