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Auction of 5G spectrum worth ₹96,318 crore begins | ₹96,318 करोड़ के 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू हुई: कुल 10,522 मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम नीलाम होगा, DoT को ₹10,000 करोड़ मिलने की उम्मीद

नई दिल्ली4 मिनट पहले

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5G स्पेक्ट्रम की नीलामी आज (25 जून) शुरू हो गई है। देश की तीन बड़ी टेलीकॉम कंपनी 3 कंपनियां नीलामी में हिस्सा ले रही है। पहले दिन टेलिकॉम ऑपरेटरों ने चार स्पेक्ट्रम बैंडों – 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज में रुचि दिखाई है।

इस ऑक्शन में कुल 10,522 मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम नीलाम होगा। संचार भवन में स्थित DoT के वार रूम से ऑनलाइन नीलामी चल रही है। हाल ही में IIFL सिक्योरिटीज ने एक नोट में कहा था कि स्पेक्ट्रम की कम डिमांड और मार्केट लीडर रिलायंस जियो के नरम रुख से नीलामी बहुत सुस्त रह सकती है।

96.31 हजार करोड़ के बेस प्राइस पर होगी नीलामी
सरकार मोबाइल फोन सेवाओं के लिए 8 स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी के लिए रखे हैं। इसमें 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड शामिल हैं।

नीलामी में सभी उपलब्ध स्पेक्ट्रम को 96,317.65 करोड़ रुपए के बेस प्राइस पर नीलामी में रखा गया है। इस नीलामी में दिवालिएपन से गुजर रही कुछ कंपनियों के पास मौजूदा स्पेक्ट्रम के अलावा 2024 में अवधि पूरी होने पर एक्सपायर होने वाले स्पेक्ट्रम को भी रखा जाएगा।

जियो ने 3,000 करोड़ रुपए बयाना राशि जमा की
रिलायंस जियो ने 5G स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EMD) यानी बयाना राशि के रूप में 3,000 करोड़ रुपए जमा किए हैं, जो टॉप-3 टेलिकॉम कंपनियों में शामिल भारती एयरटेल लिमिटेड से 3 गुना और वोडाफोन आइडिया (Vi) से 10 गुना ज्यादा है।

डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (DoT) के अनुसार, भारती एयरटेल ने 1,050 करोड़ और वोडाफोन आइडिया (Vi) ने 300 करोड़ रुपए जमा किए। नीलामी में 20 साल के लिए स्पेक्ट्रम अधिकार दिए जाएंगे। कंपनियों को हर साल किस्तों में भुगतान करना होगा।

पिछली नीलामी में जियो ने ₹88,078 करोड़ खर्च किए थे

  • 2022 की नीलामी में जियो ने सबसे ज्यादा 5G स्पेक्ट्रम पर 88,078 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
  • एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपए और वोडाफोन आइडिया ने 18,799 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
  • 2022 में, सरकार ने 20 साल की वैलिडिटी के साथ 72,097.85 MHz स्पेक्ट्रम ऑफर किया था।
  • अडाणी ग्रुप का नाम अचानक बोली लगाने वालों में आया था। इस बार की कोई नया नाम नहीं।

DoT को 10,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद
DoT को इस बार नीलामी में टेलिकॉम ऑपरेटरों से ज्यादा अच्छे रिस्पॉन्स की उम्मीद नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल ही कंपनियों ने काफी सारा स्पेक्ट्रम खरीदा था।

कंपनियों का फोकस उन स्पेक्ट्रम के टॉपअप पर होगा जो उनके ऑपरेशन में हैं और एक्सपायर हो रहे हैं। टेलिकॉम डिपार्टमेंट को नीलामी से करीब ₹10,000 करोड़ मिलने की उम्मीद है।

पांचवीं जनरेशन है 5G, मिलता है हाई स्पीड इंटरनेट
इंटरनेट नेटवर्क के पांचवें जनरेशन को 5G कहते हैं। यह एक वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस है, जो तरंगों के जरिए हाई स्पीड इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराती है। इसमें मुख्य तौर पर तीन तरह के फ्रीक्वेंसी बैंड होते हैं।

  • लो फ्रीक्वेंसी बैंड- एरिया कवरेज में सबसे बेहतर, इंटरनेट स्पीड 100 Mbps, इंटरनेट स्पीड कम
  • मिड फ्रीक्वेंसी बैंड- इंटरनेट स्पीड लो बैंड से ज्यादा 1.5 Gbps, एरिया कवरेज लो फ्रीक्वेंसी बैंड से कम, सिग्नल के मामले में अच्छा
  • हाई फ्रीक्वेंसी बैंड- इंटरनेट स्पीड सबसे ज्यादा 20 Gbps, एरिया कवर सबसे कम, सिग्नल के मामले में भी अच्छा

स्पेक्ट्रम क्या है और यह कैसे काम करता है?
एयरवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के भीतर रेडियो फ्रीक्वेसी हैं जो टेलिकॉम सहित कई सर्विसेज के लिए वायरलेस तरीके से सूचना ले जा सकती हैं।

सरकार इन एयरवेव्स का मैनेजमेंट और आवंटन करती है। स्पेक्ट्रम को लो फ्रीक्वेंसी से लेकर हाई फ्रीक्वेंसी तक के बैंड में डिवाइड किया जा सकता है।

हाई-फ्रीक्वेंसी वेव ज्यादा डेटा ले जाती हैं और लो-फ्रीक्वेंसी वेव की तुलना में तेज होती हैं, लेकिन इन्हें आसानी से ब्लॉक या ऑब्सट्रक्ट किया जा सकता है। लोअर-फ्रीक्वेंसी वेव वाइडर कवरेज प्रदान कर सकती हैं।

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