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नई दिल्ली16 मिनट पहले
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टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के 20 से अधिक अमेरिकी एम्प्लॉइज के एक ग्रुप ने कंपनी पर नस्ल और उम्र के आधार पर गैरकानूनी भेदभाव का आरोप लगाया गया है। एम्प्लॉइज का आरोप है कि TCS ने उन्हें अचानक से नौकरी से निकाल दिया और उनकी जगह पर H1-B वीजा पर भारत से आए लोगों को नौकरी दे दी। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में इसके बारे में जानकारी दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर के अंत से कम से कम 22 एम्प्लॉइज ने इसको लेकर इक्वल एम्प्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी कमीशन (EEOC) में TCS के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। बताया गया है कि नौकरी से निकाले गए लोगों में कॉकेशियन, एशियाई-अमेरिकी और हिस्पैनिक अमेरिकी शामिल हैं, जिनकी उम्र 40 से 60 साल के बीच की है। इनमें से कई एम्प्लॉइज के पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या फिर अन्य एडवांस ड्रिगी हैं।
TCS पर लगाए गए आरोप निराधार और भ्रामक
अमेरिकी प्रोफेशनल्स के खिलाफ भेदभाव के आरोप के जवाब में TCS के प्रवक्ता ने कहा, ‘TCS पर गैरकानूनी भेदभाव में लिप्त होने के आरोप निराधार और भ्रामक हैं। TCS का अमेरिका में इक्वल एम्प्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी का एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है, जो हमारे ऑपरेशंस में वैल्यूज और इंटीग्रिटी (ईमानदारी) के हाईएस्ट लेवल को दिखाता है।’
EEOC के पास फेडरल कानून लागू करने की जिम्मेदारी
EEOC पर फेडरल कानून को लागू करने के लिए जिम्मेदारी होती है जिसमें नस्ल, कलर, रिलीजन, जेंडर, ऐज, डिसेबिलिटी और जेनेटिक इंफॉर्मेशन के आधार पर नौकरी के एप्लीकेंट्स या एम्प्लॉइज के साथ होने वाले भेदभाव को रोकना है।
TCS में 6 लाख से ज्यादा एम्प्लॉइज
6 लाख से ज्यादा एम्प्लॉइज वाली TCS का हेडक्वार्टर भारत में है। कंपनी अपने रेवेन्यू का लगभग आधा हिस्सा नॉर्थ अमेरिका से रिसीव करती है, लेकिन कम्पैरटिव रूप से अमेरिका में कंपनी का वर्कफोर्स कम है।