Ambulance was not available to go to the hospital after delivery – News18 हिंदी

अनूप पासवान/कोरबाः- जिले के अंतिम छोर तक मूलभूत सहित तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं, लेकिन तमाम दावे थोथे हैं. यह बात एक बार फिर साबित हो गया. दरअसल पहाड़ी कोरबा जनजाति की की एक प्रेग्नेंट महिला ने समय से पहले एक शिशु को जन्म दिया. उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए लोग एम्बुलेंस को कॉल करते रहे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. करीब 24 घंटे बाद डॉयल 112 की टीम गांव पहुंची और महिला को अस्पताल पहुंचाया गया.

वाहन में नहीं था वाहन जाने की व्यवस्था
दरअसल रायपुर स्थित कंट्रोल रूम से डॉयल 112 बालको कोबरा वन को इवेंट मिला था. दोपहर करीब 3:44 बजे इवेंट मिलते ही डॉयल 112 में तैनात आरक्षक बसंत कुमार चालक सहित चिरईझुंझ (डोकरमना) के लिए रवान हो गए. वे किसी तरह गांव के करीब तो पहुंच गए, लेकिन वाहन लेकर पीड़िता के घर तक जाना संभव नही था. ऐसे में डॉयल 112 कर्मी पैदल ही चिरईझुंझ में रहने वाले राजेश पहाड़ी कोरवा के घर जा पहुंचे. उसकी पत्नी धनपतिया बाई का 24 घंटे पहले प्रसव हुआ था. वह प्रसव उपरांत दर्द से कराह रही थी.

लिहाजा डॉयल 112 कर्मी परिजनों की मदद से जच्चा-बच्चा को कांवर में उठाकर करीब डेढ़ किलोमीटर पहाड़ी रास्ते से होकर वाहन तक पहुंचे. उन्हें देर रात मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाकर दाखिल कराया गया, जहां डॉक्टरों ने परीक्षण उपरांत समय से पूर्व जन्मे नवजात को मृत घोषित कर दिया. प्रसुता को अस्पताल में दाखिल कर उपचार शुरू कर दिया गया, जबकि मृत नवजात को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया.

कमजोर पैदा हुआ था नवजात
मामले को लेकर राजेश ने लोकल 18 को बताया कि शाम के वक्त उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई, जिसकी जानकारी उसने मितानीन गीता को दी. उसकी देखरेख में समय पूर्व प्रसव भी हो गया, लेकिन मितानीन ने बच्चे के कमजोर होने के कारण जच्चा-बच्चा को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस को कॉल किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिल सकी. इसलिए पत्नी व नवजात को घर में ही रखा गया था.

दूसरे दिन शाम को डॉयल 112 की मदद से जच्चा-बच्चा को अस्पताल लेकर पहुंचा गया. वहीं एक चौंकाने वाली जानकारी मिली कि उन्होंने कपड़े में लिपटे नवजात के शव को पॉलिथिन में रखा हुआ था, जिसकी भनक न तो आसपास बेड में भर्ती प्रसुताओं को थी और न ही स्वास्थ्य कर्मियों को थी. मामला संज्ञान में आते ही प्रबंधन ने पीड़ित परिवार को समझाकर मृत नवजात को दफन कराया.

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गलतफहमी का हो गए शिकार
मामले को संज्ञान में लेते हुए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सह अधीक्षक रविकांत जाटवर ने स्वास्थ्य कर्मियों से जानकारी ली. इस दौरान पता चला कि नवजात के शव को प्रसूता की सास के सुपुर्द किया गया था, ताकि अंतिम संस्कार किया जा सके. इधर दंपत्ती अपने मृत नवजात के शव को कपड़े में लपेट पॉलिथीन में भरकर बेड के करीब ही रखे हुए थे, ताकि अस्पताल से छुट्टी मिलने पर गांव में सामाजिक रीति-रिवाज से दफन कर सकें. इस बात की जानकारी होने पर परिजनों को समझाया गया, तब जाकर नवजात को दफन किया गया.

Tags: Chhattisgarh news, Korba news, Local18

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