मुंबई1 घंटे पहले
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शेयर बाजार में लिस्टेड मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश टॉप-10 में से सात कंपनियों की कंबाइंड मार्केट-वैल्यू में पिछले हफ्ते ₹67,259.99 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। इनमें देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप सबसे ज्यादा ₹45,262.59 करोड़ बढ़ा है।
कंपनी का मार्केट कैप अब ₹20.14 लाख करोड़ हो गया है। रिलायंस के अलावा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) और CICI बैंक भी पिछले हफ्ते मार्केट के टॉप गेनर रहे हैं। इनके मार्केट कैप में ₹5,533.26 करोड़, ₹5,218.12 करोड़ और ₹4,132.67 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।
TCS का मार्केट कैप ₹10,691.45 करोड़ गिरा वहीं, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का मार्केट कैप ₹10,691.45 करोड़ गिर कर ₹14.05 लाख करोड़ रह गया है। पिछले हफ्ते कंपनी की वैल्यूएशन में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। तब, कंपनी का मार्केट कैप ₹1,10,134.58 करोड़ गिरा था। TCS के अलाव इंफोसिस और भारती एयरटेल का वैल्यूएशन भी गिरा है।
पिछले हफ्ते मार्केट में तेजी रही थी
पिछले हफ्ते शेयर बाजार में आखिरी कारोबारी दिन यानी 27 मार्च को तेजी रही थी। सेंसेक्स 526 अंक की बढ़त के साथ 72,996 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में भी 118 अंक की तेजी देखने को मिली, ये 22,123 के स्तर पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 19 में तेजी और 11 में गिरावट देखने को मिली थी। बाजार में बैंकिंग और ऑटो शेयर्स में ज्यादा बढ़त रही। रिलायंस इंडस्ट्री के शेयर में 3.49% की तेजी रही। मारुति सुजुकी का शेयर 2.53% चढ़कर बंद हुआ।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का मार्केट कैप पिछले हफ्ते ₹1,10,134.58 करोड़ गिरा है। अब कंपनी का मार्केट कैप ₹14.16 लाख करोड़ रह गया है। एक हफ्ते पहले यह ₹15.26 लाख करोड़ था। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…