फिरोज़पुर में स्टेट लेवल पर हॉकी खेलने के बाद बच्चों को मिली मुश्किलें, रात 11 बजे तक बस का इंतजार
खेल विभाग और शिक्षा विभाग एक तरफ बच्चों को खेलों में आगे लाने की बातें कर रहे हैं, लेकिन जब वही बच्चे अपनी मेहनत और लगन से जिला स्तर पर खेलों में भाग लेकर लौटते हैं, तो उन्हें बेसहारा छोड़ा जा रहा है। फिरोज़पुर के शेरशाह चौक में हुई एक घटना ने इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया है। राज्य स्तर पर हॉकी खेलकर लौटे चार बच्चे और एक शिक्षक रात 11 बजे तक बस का इंतजार कर रहे थे, जबकि ठंड से उनका बुरा हाल हो रहा था।
ये बच्चे मोहाली में हुए हॉकी मुकाबले में भाग लेने गए थे। बच्चों ने बताया कि वे एक मैच जीतने में सफल रहे थे, लेकिन अगले मैच में हार गए। अब वे रात के 11 बजे तक बस का इंतजार कर रहे थे, ताकि अपने घर लौट सकें। उनके गांव मेघा राय उपताड़ है, और इस समय इतनी रात को वे सर्दी में सड़कों पर खड़े होकर घर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे।
यह घटना खेल विभाग और शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को खेलों में प्रोत्साहित करने के दावे पर सवाल उठाती है। एक तरफ विभाग खेलों में बच्चों को आगे लाने का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ, खेल में सफल होने के बाद ये बच्चे सड़क पर रुलते हुए नजर आ रहे हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है कि बच्चों को खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद ऐसी बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही हैं, जिससे वे सुरक्षित और समय पर घर लौट सकें।
घटना की सूचना मिलने पर मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पुलिस को सूचित किया। पुलिस मौके पर पहुंची और बच्चों को एक निजी बस में बैठाकर उनके घर भेज दिया। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या यह स्थिति इस तरह से आने के बजाय पहले ही विभागों द्वारा इन बच्चों के लिए व्यवस्था नहीं की जा सकती थी?
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि खेलों में बच्चों को सफल बनाने के लिए सिर्फ उनका उत्साह बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें खेलों के बाद बुनियादी सुविधाएं और सुरक्षा भी प्रदान की जानी चाहिए।