नई दिल्ली, 20 अगस्त 2024- सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता रेप और हत्या मामले में सीबीआई को 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सिर्फ कोलकाता में हत्या का मामला नहीं है, ये मामला देशभर के डॉक्टरों की सुरक्षा का है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन कर रहे हैं, जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमि के डॉक्टर शामिल होंगे जो काम पर सुरक्षित स्थिति बनाने और युवा डॉक्टरों को अपने काम के माहौल में सुरक्षित रहने के लिए पूरे भारत में अपनाए जाने वाले तरीकों का सुझाव देंगे। मुख्य न्यायाधीश ने डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि कोलकाता मामले में हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि पीड़ित का नाम और मृतक की फोटो, वीडियो सभी मीडिया में प्रकाशित हो रही है। उनका शव दिखाया गया. जबकि कोर्ट का कहना है कि यौन पीड़ितों के नाम प्रकाशित नहीं किए जा सकते. सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक भयानक घटना है. हमने गरिमा का ख्याल रखा है.’ जब तक पुलिस पहुंची, तस्वीरें और वीडियो ले लिए गए थे।
चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रोटोकॉल सिर्फ कागजों पर नहीं होना चाहिए बल्कि इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए. कोलकाता में, पीड़िता का नाम और तस्वीर देश भर के सभी मीडिया में प्रकाशित हुई। सिब्बल ने कहा कि जांच में पता चला कि यह हत्या का मामला है.
चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या एफआईआर में हत्या का जिक्र है. चीफ जस्टिस ने कहा कि सुबह अपराध की जानकारी मिली. अस्पताल के प्रिंसिपल इस मामले को आत्महत्या बताते रहे. पीड़िता के माता-पिता को शव देखने की अनुमति नहीं दी गई। सिब्बल ने कहा कि यह ठीक नहीं है. चीफ जस्टिस ने कहा कि देर रात तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी. कोलकाता पुलिस क्या कर रही थी? मृतक के शव को उसके माता-पिता शाम को अंतिम संस्कार के लिए ले आए। अगले दिन डॉक्टरों ने विरोध किया और कुछ भीड़ ने अस्पताल में घुसकर नुकसान पहुंचाया। आख़िर कोलकाता पुलिस क्या कर रही थी? घटना को अस्पताल के अंदर अंजाम दिया गया है. पुलिस को अपराध स्थल की सुरक्षा करनी होती है. सिब्बल ने कहा कि आरोपी सिविक वालंटियर है. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल के प्रिंसिपल के व्यवहार पर आपत्ति जताई और पूछा कि इस प्रिंसिपल को तुरंत दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे नियुक्त कर दिया गया. इस पर सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि मेडिकल पेशे में संस्थागत सुरक्षा का अभाव है. देर रात तक काम करने के बावजूद डॉक्टरों के पास आराम की कोई व्यवस्था नहीं है. 36 घंटे काम करने के बावजूद रेजिडेंट और नॉन-रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए कोई विश्राम कक्ष नहीं है। वहां बुनियादी स्वच्छता सुविधाएं नहीं हैं. डॉक्टरों को उनके घर तक पहुंचने के लिए परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं है. सीसीटीवी काम नहीं करते.
गौरतलब है कि 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कार हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल में एक पीजी ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था. इस मामले में 10 अगस्त को एक सिविल वॉलंटियर को गिरफ्तार किया गया था. इस घटना के बाद पूरे देश में हंगामा मच गया. देशभर के डॉक्टरों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. 13 अगस्त को कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले कीसीबीआई जांच के आदेश दिए थे. हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने 14 अगस्त के विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल में हुई तोड़फोड़ को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है.