नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने जजों पर सरकारों के प्रेशर को लेकर बड़ी बात कही है. उन्होंंने कहा, मुझे जज के रूप में काम करते हुए 24 साल हो गए, लेकिन कभी किसी सरकार ने किसी भी तरह का प्रेशर नहीं बनाया. कभी राजनीतिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा. चंद्रचूड़ ने कहा, मुझे लगता है कि भारत में न्यायाधीशों को मुकदमों में भावनाओं के बजाय संवैधानिक व्यवस्था पर आधारित स्थापित परंपराओं के अनुसार निर्णय लेना चाहिए. इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाती है.
CJI ऑक्सफोर्ड यूनियन की ओर से आयोजित एक समारोह में सवाल का जवाब दे रहे थे. डॉ. चंद्रचूड़ ने कहा, अगर आप मुझसे राजनीतिक दबाव, सरकार के दबाव के बारे में पूछें, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि 24 वर्षों से मैं न्यायाधीश हूं, और मुझे सत्ता पक्ष की ओर से कभी भी राजनीतिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा. भारत में हम जिन लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन करते हैं, उनमें यह भी शामिल है कि हम सरकार के राजनीतिक अंग से अलग-थलग जीवन जीते हैं.” ‘सामाजिक दबाव’ के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अक्सर अपने निर्णयों के सामाजिक प्रभाव के बारे में सोचते हैं.
हमारे कई निर्णयों का समाज पर गहरा प्रभाव
डॉ. चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हमारे कई निर्णयों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है. न्यायाधीशों के रूप में, मेरा मानना है कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने निर्णयों के सामाजिक व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जागरूक रहें.” CJI चंद्रचूड़ पहले भी जजों को इस बारे में नसीहत देते रहे हैं. उन्हें खुलकर निर्णय करने और जनता की बात को समझने, सुनने के बारे में प्रेरित करते रहे हैं.
टेप रिकॉर्डर की तरह काम नहीं करना चाहिए
कुछ दिनों पहले CJI ने कहा था कि जजों को सिर्फ टेप रिकॉर्डर की तरह काम नहीं करना चाहिए. अदालतों को सुनवाई के दौरान एक सहयोगी की भूमिका निभानी होती है. इसलिए किसी भी तरह के मामले में गवाहों के बयान दर्ज करते समय सिर्फ टेप रिकॉर्डर न बने रहें. अदालत को कार्यवाहियों पर प्रभावी नियंत्रण करना चाहिए, ताकि सच्चाई तक पहुंचा जा सके. सच्चाई तक पहुंचना और न्याय प्रदान करना अदालत का पहला कर्तव्य है.
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FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 21:57 IST