रिपोर्टः पुलकित शुक्ला
हरिद्वारः उत्तराखंड के हरिद्वार में कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों की हर साल की जाने वाली तीर्थयात्रा है. इस पवित्र यात्रा को जल यात्रा भी कहा जाता है क्योंकि इसमें ‘कांवरिया’ या कांवड़िया बिहार के सुल्तानगंज, उत्तराखंड के गंगोत्री, गौमुख और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थलों से गंगाजल लाने के लिये पैदल निकलते हैं. फिर श्रावण मास की त्रयोदशी तिथि को गंगाजल अपने गृह नगर के शिव मंदिर में चढ़ाते हैं. अब कांवड यात्रा को एक महीने ही बचा है, इससे पहले प्रशासन तैयारी में जुट गया है.
कांवड़ मेले में 1 महीने का समय बचा है. हरिद्वार जिला प्रशासन कांवड़ मेले की तैयारी में जुट गया है. हर साल करोड़ों की संख्या में शिव भक्त कांवड़िए हरिद्वार गंगा जल लेने के लिए पहुंचते हैं. कांवड़ियों की सुरक्षा और उनकी सुविधा के लिए प्रशासन कई स्तरों पर व्यवस्थाएं करता है. ऐसे में अब मेले की तैयारी के लिए अधिकारियों की मीटिंग का दौर भी शुरू हो गया है.
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बता दें कि दो दिन पहले प्रशासन के अधिकारियों ने स्थानीय व्यापारियों के साथ मीटिंग कर उनके सुझाव मांगे थे. बुधवार को यानी आज हरिद्वार कलेक्टर सभी विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे. इस दौरान श्रृद्धालुओं की सुविधाओं समेत मेले के तमाम इंतजाम पर चर्चा की जाएगी. मीटिंग में सड़कों के गड्ढे, पेयजल, बैरिकेडिंग, बिजली, मेडिकल कैंप समेत कई जन सुविधाओं को लेकर चर्चा होगी.
कांवड़ यात्रा 2024 की तारीख
कांवड़ यात्रा शुरू होने के लिये अब बहुत कम समय बाकि रह गया है. यह पवित्र यात्रा 22 जुलाई 2024 को सोमवार के दिन से शुरू होने वाली है. सावन पर शिवरात्रि पर जलाभिषेक किया जाएगा. कांवड़ यात्रा हिंदू महीने श्रावण मास में होती है. यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जुलाई और अगस्त का महीना होता है. हालांकि, बिहार और झारखंड राज्य में सुल्तानगंज से देवघर तक की कांवड़ यात्रा कांवड़िए पूरे साल करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 11:57 IST