ईशा बिरोरिया/ऋषिकेश: सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है. यह महत्व सावन के महीने में और अधिक बढ़ जाता है. सावन मास की शुरुआत होते ही सभी भक्त प्रतिदिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करते हैं. साथ ही भगवान शिव की उपासना करते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव की सच्चे दिल से उपासना करने वालों से भोलेनाथ अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. वहीं, इस महीने दही और कढ़ी नहीं खानी चाहिए.
लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि सावन का महीना शिव की पूजा-व्रत के साथ ही कई समस्याओं से मुक्ति के लिए भी उपयोगी माना गया है. इस महीने बेलपत्र चढ़ाना और दूध चढ़ाना शुभ माना जाता है. लेकिन, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह में कढ़ी और दही नहीं खानी चाहिए.
दही और कढ़ी न खाने का धार्मिक महत्व
पुजारी शुभम ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं में बताया गया है कि सावन मास में भगवान शिव को कच्चा दूध अर्पित किया जाता है. इसलिए इस माह में कच्चा दूध व इससे संबंधित चीजों का सेवन करना वर्जित है. कढ़ी बनाने के लिए दही का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए सावन महीने में कढ़ी या दूध, दही से संबंधित चीजों का खाना वर्जित बताया गया है.
आयुर्वेद के अनुसार सावन मास में क्यों न खाए दही और कढ़ी
वहीं ऋषिकेश में स्थित आयुष्मान हॉस्पिटल के डॉ पारस (BAMS) ने बताया कि आर्युवेद के अनुसार, सावन मास में दूध या दही से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही कच्चे दूध का सेवन करने से भी बचना चाहिए.
Tags: Dehradun news, Dharma Aastha, Local18, Sawan somvar
FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 13:07 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.