कोरबा. आषाढ़ मास में प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले रथयात्रा पर्व की तैयारियां शुरु हो गई है. जिले में दादरखुर्द की सबसे पुरानी रथ यात्रा का अपना एक अलग महत्व है. 7 जुलाई को रथ यात्रा का पर्व मनाया जाएगा. इसके लिए भगवान जगन्नाथ स्वामी के रथ को तैयार किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में सबसे खास कोरबा जिले के ग्राम दादर मे रथ यात्रा निकल जाती. यहां रथ यात्रा निकालने की परंपरा 122 साल से चली आ रही है. यही वजह है कि इसे छोटा पुरी के नाम से पहचान मिल रही है.
शहर से लगे हुए गांव दादर खुर्द में रथयात्रा की परंपरा 122 साल से नहीं टूटी है. अब छत्तीसगढ़ के लोग इसे छोटा पुरी के नाम से जानने लगे हैं. इस साल यह 123 वां आयोजन होगा, जब लगातार यहां से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. रथ यात्रा की तैयारियां अंतिम चरण में है. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष द्वितीया को रथजुतिया के नाम से कोरबा जिले के विभिन्न गांवों में रथ यात्रा निकाली जाती है. शहर के निकट स्थित ग्राम दादरखुर्द का रथयात्रा उत्सव छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है.
गांव के मंदिर में बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ स्वामी की प्रतिमा स्थापित है. आषाढ़ कृष्ण पक्ष की पहली तिथि से मंदिर का पट महाप्रभु के बीमार होने की वजह से बंद होता है. ब्रह्ममुहुर्त में रथजुतिया के दिन मंदिर का पट खुलेगा. ग्रामीणों ने पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को सुसज्जित कर रथ में बिठाया जाता है.
ससुराल से एक महीने पहले बेटियां भी आकर करती हैं तैयारियां
गांव दादर में लंबे समय से रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि दादर को अब लोग छोटा पुरी के नाम से भी जानने लगे हैं. इसकी तैयारी महीने भर पहले से ही शुरू हो जाती है.दादर से जिन बेटियों का विवाह राज्य के बाहर भी हुआ है, वह लगभग हफ्ते भर पहले ही दादर लौटकर यात्रा की तैयारियों में जुट जाती हैं. दादर के साथ ही जिले भर से लोग यहां पहुंचते हैं और रथ यात्रा में शामिल होते हैं.ऐसी मान्यता है कि रथयात्रा में शामिल होकर जो भी श्रद्धालु रथ को खींचता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 16:43 IST