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Explainer: क्यों बांग्लादेश के साथ तीस्ता समझौते पर ममता नाराज, क्या पूरा मामला, क्या है चीन का एंगल

हाइलाइट्स

भारत ने बांग्लादेश के तीस्ता नदी प्रोजेक्ट पर रुचि जाहिर करते हुए समझौता किया हैममता चाहती हैं कि ऐसी किसी भी बातचीत में पश्चिम बंगाल को जरूर शआमिल किया जाएतीस्ता नदी सिक्किम से निकलकर बांग्लादेश तक जाती है और ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है

पूर्वी हिमालय के पौहुनरी पर्वत से निकलने वाली 414 किलोमीटर लंबी तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर भारत और बांग्लादेश में लंबे समय से विवाद रहा है लेकिन अभी भारत ने बांग्लादेश में इस नदी के संरक्षण संबंधी परियोजना को लेकर एक अहम समझौता किया है. इसके लिए भारत एक तकनीक टीम जल्दी ही बांग्लादेश को भेजेगा. लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस समझौते से नाराज हैं. उन्होंने इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि बगैर बंगाल को शामिल किए बांग्लादेश से ऐसा कोई समझौता नहीं हो सकता. जानते हैं तीस्ता नदीं और इसके जल बंटवारे को लेकर चल विवाद के बारे में और ये भी कि ये प्रोजेक्ट कौन सा जिसके लिए भारत सरकार ने हाल ही में नई दिल्ली आईं पड़ोसी देश की प्रधानमत्री शेख हसीना के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

बहुत से लोगों को लगता होगा कि तीस्ता नदी बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के बीच होकर बहती है लेकिन ऐसा है नहीं. पश्चिम बंगाल से ये नदी गुजरती है. असल में इस नदी का उद्गम सिक्किम में है.

सवाल – कहां से निकलती है ये नदी और कहां से गुजरती है?
– तीस्ता नदी 414 किमी लंबी नदी है जो पूर्वी हिमालय के पौहुनरी पर्वत से निकलती है, जो सिक्किम को छूता हुआ है. फिर ये नदी सिक्किम से बहते हुए बंगाल पहुंचती है और वहां से बांग्लादेश चली जाती है. बांग्लादेश में, यह ब्रह्मपुत्र नदी में विलीन हो जाती है. नदी का 305 किमी हिस्सा भारत में और 109 किमी बांग्लादेश में स्थित है. तीस्ता सिक्किम की सबसे बड़ी नदी है. पश्चिम बंगाल में ये गंगा के बाद दूसरी सबसे बड़ी नदी है.

सवाल – तीस्ता नदी पर ये कौन सा प्रोजेक्ट है, जिसके लिए भारत ने समझौता किया है?
– बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण पर बातचीत के लिए भारतीय तकनीकी दल को भेजने का निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नई दिल्ली की आपत्तियों के बावजूद चीन अनुमानित एक अरब अमेरिकी डॉलर की इस परियोजना पर गहरी नजर रख रहा था. इस परियोजना के अंतर्गत, भारत द्वारा तीस्ता नदी के जल के प्रबंधन और संरक्षण के लिए बड़े जलाशयों और संबंधित बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाना है. हालांकि चीन की भी दिलचस्पी इस प्रोजेक्ट पर है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री अगले महीने चीन का दौरा करने वाली हैं, जहां वो चीन की दिलचस्पी को भी जानेंगी.

चीन ने बांग्लादेश को ये प्रस्ताव दिया हुआ है कि वह बांग्लादेश सरकार के इस 1 बिलियन डॉलर की परियोजना की लागत का 15 प्रतिशत वहन करेगी, जबकि बाकी चीनी ऋण के रूप में होगा. हालांकि अब तक बांग्लादेश में इस योजना को ज़्यादा सफलता नहीं मिली है. अब जबकि भारत ने भी इस प्रोजेक्ट में अपनी दिलचस्पी दिखाई है तो हसीना को उस दबाव से बचने का मौका मिलेगा जो उन्हें निकट भविष्य में चीन की यात्रा के दौरान बीजिंग से मिलने की संभावना है. इस प्रोजेक्ट में तीस्ता की खुदाई और जल प्रबंधन होगा ताकि बांग्लादेश को ज्यादा पानी मिल सके. हालांकि भारत अब तक बांग्लादेश सीमा के पास चीनी उपस्थिति के बारे में सुरक्षा चिंताओं के कारण इसका विरोध करता है।

सवाल – ममता बनर्जी क्यों इसका विरोध कर रही हैं?
– ममता लंबे समय से जल-बंटवारे समझौते का विरोध कर रही हैं. साथ ही राज्य में कटाव, गाद और बाढ़ के लिए फरक्का बैराज को जिम्मेदार ठहरा रही हैं. उनका कहना है कि वो ऐसा बंगाल के हितों की रक्षा के लिए कर रही हैं. इससे पहले भी ममता इसका विरोध करती रही हैं. जल-बंटवारे के समझौते पर सितंबर 2011 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान हस्ताक्षर होना था लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए समझौते को रोक दिया कि इससे उत्तर बंगाल में पानी की कमी हो जाएगी.

ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी तीस्ता दोनों देशों के बीच बहने वाली 54 अंतर-सीमा नदियों में एक है. यह सिक्किम और उत्तरी बंगाल से दक्षिण की ओर बहती है. बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले उत्तरी क्षेत्रों की प्राथमिक नदी बन जाती है. हालांकि ऐसा कहा जाता है कि भारत द्वारा निर्मित बांधों ने पानी के प्रवाह को सीमित कर दिया है.

सवाल – क्या ममता के विरोध के चलते भारत इस परियोजना में आगे बढ़ सकेगा?
– इस बात की बहुत कम संभावना है कि तकनीकी टीम के दौरे के बावजूद मोदी सरकार बांग्लादेश को इस मुद्दे पर आमूलचूल परिवर्तन के लिए राजी कर पाएगी. भारत में नदी राज्य का विषय है. दोनों देशों के बीच जल बंटवारे पर अंतिम समझौता 1996 में हुआ था, जब गंगा नदी संधि पर हस्ताक्षर किये गये थे.
घनिष्ठ संबंधों के बावजूद, न्यायसंगत तीस्ता जल बंटवारे पर समझौते तक पहुंचने में विफलता भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक बड़ी परेशानी रही है. बांग्लादेश इसे एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित के रूप में देखता है, जबकि भारत अपने सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल में घरेलू राजनीति से विवश है.

सवाल – भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता का क्या जल विवाद है?
– बांग्लादेश तीस्ता के पानी का 50 फीसदी हिस्सा चाहता है, खासकर शुष्क मौसम के दौरान जब प्रवाह काफी कम हो जाता है. ये बांग्लादेश में सिंचाई, मछली पालन और पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण है.

भारत ने बांग्लादेश के लिए 37.5फीसदी और भारत के लिए 42.5 फीसदी हिस्सेदारी का प्रस्ताव रखा है, शेष 20 फीसदी पर्यावरणीय प्रवाह के लिए दिया है. बंगाल राज्य सरकार लगातार इस जल बंटवारे का विरोध करती रही है और उसने कभी इस पर हस्ताक्षर नहीं किया.

– भारत ने पश्चिम बंगाल में सिंचाई के लिए अधिक तीस्ता जल को मोड़ने के लिए नहरें बनाने की योजना बनाई है, बांग्लादेश का कहना है कि इससे उसके क्षेत्र में नदी का प्रवाह और कम हो जाएगा और उसके किसानों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होगा.

Tags: Bangladesh, Water conservation

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