सहरसा : जिस दियारा इलाके में जाने से कतराते हैं लोग उस इलाके के किसान परवल की खेती में एक अलग कहानी लिख रहे हैं. अब इस इलाके के परवल की खूब डिमांड होती है. परवल की खेती अक्सर दियारा इलाके में की जाती है. यह वही दियारा इलाका है जहां कभी हमेशा बंदूक गरजती थी वहां अब परवल के पौधे लहराते हुए नजर आते हैं. हम बात कर रहे हैं सहरसा मानसी रेलखंड के धमारा घाट रेलवे स्टेशन के समीप दियारा इलाके की.
यहां के लोग बताते हैं कि इलाके में बंदूक की गोली से इलाका कभी गूंज उठता था, लेकिन अभी इसी दियारा इलाके के किसान बड़े पैमाने पर परवल की खेती का रास्ता बना लिए हैं. अब इलाके में बंदूक की गोलियों की गूंज नहीं सुनाई देती है. सिर्फ हरे हरे पत्तों की हरियाली से इलाका महक उठता है. परवल की खेती से होने वाला मुनाफा ही किसानों को चिलचिलाती धूप में भी खेत आने को उत्साहित करता है. परवल की खेती यहां के लोगों का मुख्य जरिया बन चुका है. अच्छा मुनाफा होने से गांव के कई किसान दियारा में परवल की खेती से जुड़ते जा रहे हैं. इसलिए तो इस इलाके का परवल एक बड़ा ब्रांड बन गया है. जिनकी डिमांड सहरसा के साथ ही पास के जिले खगड़िया बेगूसराय मधेपुरा सुपौल मुंगेर तक यहां का परवल जाता है. इलाके के लोग बताते हैं कि 400 बीघा में हर वर्ष परवल की खेती इस इलाके में की जाती है अच्छा खासा मुनाफा भी हो जाता है.
वही दियारा क्षेत्र में परवल की खेती कर रहे लालकुंड बताते हैं कि शुरू से ही हमलोग परवल की खेती करते आ रहे हैं. इस इलाके की परवल की डिमांड बाजारों में खूब होती है. व्यापारी इस परवल को लेने के लिए खुद खेत तक आते हैं वहीं हम लोग भी बाजारों में जाकर परवल को बेचते हैं. अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है. इसी खेत में रहना होता है इस इलाके के अमूमन किसान परवल की ही खेती करते हैं.
FIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 22:29 IST