8 और 10 जून को अलग-अलग ट्रेनों में महिला के शव के टुकड़े मिलने से रेलवे पुलिस में हड़कंप मच गया था. 8 जून को इंदौर में एक ट्रेन में एक महिला का बिना हाथ-पैर वाला शव मिला था. इस शव की पहचान को लेकर तमाम भाग-दौड़ की जा रही थी, तभी अगले दिन करीब 1,150 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक ट्रेन में एक महिला के कटे हुए दोनों हाथ और दोनों पैर मिले थे. जीआरपी ने जब इन टुकड़ों का मिलान किया और जांच करवाई तो ये टुकड़े एक ही महिला के थे.
रेलवे पुलिस लगभग 1200 किलोमीटर में फैले इस टुकड़ों को तो मिलाने में कामयाब हो गई, लेकिन अब समस्या थी शव की पहचान की और कातिल को खोजने की. लेकिन लगभग 10 की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने ना केवल महिला की पहचान कर ली बल्कि अब कातिल भी उसकी गिरफ्त में था. कातिल था 60 वर्ष का एक आदमी. पहले तो यह मरियाल-सा दिखने वाला बूढ़ा आदमी किसी भी हत्या से इनकार करता रहा, लेकिन जैसे ही पुलिस ने अपने फार्मूले का इस्तेमाल किया तो वह सच उगलने लगा. कत्ल की कहानी सुनकर पुलिस समेत वहां मौजूद तमाम लोगों के रोंगेटे खड़े हो गए.
जीआरपी को 8 जून को रेलवे स्टेशन इंदौर के यार्ड में खड़ी महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन के एक कोच की सीट के नीचे एक काले रंग का ट्रॉली बैग मिला था. जब इस बैग को खोलकर देखा तो प्लास्टिक की बोरी में एक महिला का शव लिपटा मिला. शव के हाथ-पैर नहीं थे. इस शव के कटे हुए हाथ-पैर 10 जून को ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर इंदौर से ऋषिकेश जाने वाली योग नगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस ट्रेन के दो कोच के बीच कपलिंग में प्लास्टिक की बोरी से बंधे हुए मिले थे.
जीआरपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक संतोष कोरी ने उप अधीक्षक राजेंद्र कुमार के नेतृत्व में साइबर सेल, जांच शाखा समेत कई अधिकारियों की एक टीम बनाई. जांच में पुलिस को महिला के हाथ पर एक टैटू मिला. टैटू के पैटर्न से पता चला कि ऐसा टैटू अक्सर झाबुआ, रतलाम के मेलों में भाई-बहन के नाम से गुदवाया जाता है.
पुलिस ने टैटू के आधार पर गुजरात से लगे इलाकों में मामले की खोजबीन शुरू की. जांच के दौरान पता चला कि रतलाम जिले के बिलपांक थाने में भंवरलाल डामर ने अपनी पत्नी की गुमशुदी की रिपोर्ट दर्ज कराई है. अब शव की शिनाख्त तो हो गई थी. लेकिन हत्यारे को खोजना बड़ी चुनौती थी. पुलिस ने आसपास के इलाकों में अपने गुप्तचर फैलाए.
तमाम जानकारियों के बाद शक की सुई ललितपुर जिले के कमलेश पटेल पर जाकर टिकी. कमलेश इन दिनों उज्जैन के थाना देवास गेट इलाके में रह रहा था. कमलेश की पत्नी मूक-बधिर है. इस मामले में मूक-बधिर विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित की मदद ली गई. जानकारी में पुलिस को कुछ पुख्ता सुराग मिले. अब पुलिस ने जब कमलेश से सख्ताई से पूछताछ की तो सारी कहानी सामने आई.
कमलेश ने पुलिस को जो कहानी बताई वह वाकई हैरान करने वाली थी. 6 जून की शाम को उज्जैन रेलवे स्टेशन पर कमलेश को एक महिला अकेले गुमसुम बैठी मिली. कमलेश ने अपनापन दिखाते हुए महिला से उसकी कहानी पूछी तो पता चला कि वह अपने पति से किसी बात पर गुस्सा होकर आई है और वह मथुरा जा रही है. कमलेश ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए उसे भरोसा दिलाया और कहा कि अभी मथुरा की कोई ट्रेन नहीं है. वह उसे यह कहते हुए अपने घर ले गया कि घर पर खाना खाकर आते हैं फिर वह उसे मथुरा की ट्रेन में बैठा देगा.
खाने में मिलाई नींद की गोली
महिला, कमलेश की बातों में आ गई और उसके घर चली गई. वहां दोनों ने खाना खाया. इस बीच कमलेश ने महिला के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं. थकी-हारी महिला को नींद आ गई. 7 जून की सुबह जब बेसुध सो रही थी तो कमलेश की आंखों में वासना जाग उठी. अब कमलेश बेहोश महिला के साथ संबंध बनाने लगा तभी, महिला को होश आ गया और उसने चिल्लाना शुरू कर दिया. कमलेश ने पास में ही पड़े लोहे के बड़े से नट से महिला के मुंह पर हमला किया. इस हमले से महिला बेहोश हो गई. अब उसने रस्सी से महिला का गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी.
बाजार से छुरा खरीदकर लाया
महिला की लाश को ठिकाने लगाने के लिए कमलेश बाजार गया और वहां से छुरा खरीदकर लाया. छुरे से महिला के शरीर के टुकड़े करके बैग और प्लास्टिक की बोरियों में भर दिया. शरीर के टुकडों की तीन अलग-अलग पैकिंग की गईं. इनमें से दो पैंकिंग को उसने 8 जून की सुबह उज्जैन आउटर पर रुकी इंदौर नागदा पैसेंजर ट्रेन की एक सीट के नीचे रख दिया. अब वह फिर घर आया और शाम को घर में रखी एक और पैकिंग को लेकर फिर स्टेशन पहुंचा और इंदौर देहरादून ट्रेन के कोच की कपलिंग में रख दिया.
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FIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 20:46 IST