हिमांशु जोशी/ पिथौरागढ़. पिथौरागढ़ का आदि कैलाश इन दिनों देशभर के लोगों की पहली पसंद बना हुआ है. चीन सीमा के करीब भगवान शिव के इस पवित्र स्थान में 2 महीने में ही 20000 से ज्यादा यात्री दर्शन कर चुके हैं. जो अभी तक सबसे ज्यादा है.
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद बड़ी लोकप्रियता
पिछले साल देश के प्रधानमंत्री भी आदि कैलाश के दर्शन कर चुके हैं, जिसके बाद से ही यह पवित्र स्थान देश के लोगों की नजरों में आया. तब से ही यहां आने वाले यात्रियों की संख्या काफी बड़ गई है. इन दिनों चीन बॉर्डर से सटे ये इलाके पर्यटकों से गुलजार हैं. आदि कैलाश यात्रा से जहां स्थानीय लोग रोजगार से जुड़े हैं तो वहीं धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से पिथौरागढ़ जिला भी आगे बड़ रहा है.
भारत का कैलाश है आदि कैलाश
आदि कैलाश को भारत का कैलाश कहा जाता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद होने के कारण शिवभक्तों का रुझान आदि कैलाश की ओर काफी बड़ा है. आदि कैलाश को कैलाश पर्वत के बराबर ही महत्व मिला हुआ है ऐसा इसकी आकृति के कारण है यहां मानसरोवर झील की तर्ज पर पार्वती ताल है. साथ ही यहां ॐ पर्वत भी मौजूद है जो इस यात्रा का सबसे अदभुत दर्शनीय स्थल है.
20,000 से ज्यादा लोगों ने किए दर्शन
पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि आदि कैलाश यात्रा से जिले का पर्यटन काफी बड़ा है. हर रोज सैकड़ों आवेदन इनर लाइन परमिट बनाने को हो रहे हैं उन्होंने बताया कि अभी तक 20,000 से ज्यादा लोग आदि कैलाश के दर्शन कर चुके हैं.
आदि कैलाश तक कैसे पहुंचे?
आदि कैलाश पहुंचने के लिए आपको पहले पिथौरागढ़ जाना होगा. जिसके लिए आप दिल्ली से ट्रेन या बस ले सकते हैं फिर पिथौरागढ़ से धारचूला 90 किलोमीटर टैक्सी से पहुंचा जाता है यहां तहसील में इनर लाईन परमिट बनता है जिसके बाद ही आपको आगे का सफर तय करने की अनुमति मिलती है. धारचूला से करीब 80 किलोमीटर दूर है आदि कैलाश, यहां आपको स्थानीय टैक्सी आसानी से मिल जाएगी जिसके सहारे आप आदि कैलाश और पार्वती कुंड तक पहुंच सकते है. इसके अलावा यहां ॐ पर्वत भी मौजूद है जिसके दर्शन भी पर्यटक आसानी से कर सकते हैं.
बेहद खूबसूरत और रोमांचक है सफर
उच्च हिमालयी क्षेत्र में जाने का यह सफर काफी रोमांच से भरा भी है. जैसे ही आप धारचूला से आगे को निकलते हैं तो हिमालय के खूबसूरत नजारे दिखने लग जाते हैं यहां काली नदी के किनारे किनारे सड़क बनी हुई है और कई झरने इस रास्ते में देखने को मिलते हैं. खूबसूरत वादियों के बीच सफर काफी रोमांच से भर देता है.
यहां होमस्टे में बिताए अपनी रातें
आदि कैलाश और पार्वती ताल व्यास वैली में पड़ते हैं यहां के लोगों का मान ना है कि महर्षि वेदव्यास द्वारा इस जगह को बसाया गया. जिनके नाम पर ही इस इलाके का नाम पड़ा है. यहां पर्यटकों के रहने के लिए स्थानीय लोगों ने अपने घरों में होमस्टे की सुविधा दी हुई है. आप यहां के स्थानीय लोगों के साथ आराम से रह सकते हैं जिनकी मेहमाननवाजी सभी को बेहद खुश कर देती है साथ ही आपको यहां एक अलग ही संस्कृति और सभ्यता को जानने का भी मौका मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 09:16 IST