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मुंबई30 मिनट पहले
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अमेरिका की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट और एपल के कंबाइन्ड मार्केट कैप ने भारत में लिस्टेड 3,851 कंपनियों के टोटल मार्केट कैप को पीछे छोड़ दिया है। इसके अलावा, अमेरिका की टॉप तीन वैल्यूबल कंपनी – माइक्रोसॉफ्ट, एपल और एनवीडिया का मार्केट कैप अब चीनी स्टॉक एक्सचेंज की 5,300+ कंपनियों से भी बड़ा है। ब्लूमबर्ग ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है।
माइक्रोसॉफ्ट- एपल का मार्केट कैप 6.14 ट्रिलियन डॉलर (करीब 512 लाख करोड़ रुपए) है। BSE का मार्केट कैप 5.06 ट्रिलियन डॉलर (करीब ₹423 लाख करोड़) है। वहीं माइक्रोसॉफ्ट, एपल और एनवीडिया का मार्केट कैप 9.2 ट्रिलियन डॉलर ( ₹768 लाख करोड़ रुपए) है। चीन के शंघाई स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट कैप 9 ट्रिलियन डॉलर ( ₹768 लाख करोड़ रुपए) है।
AI प्रोडक्ट इंट्रोड्यूज करने से माइक्रोसॉफ्ट को मिला फायदा
- माइक्रोसॉफ्ट ने ओपनएआई में निवेश किया है और अपने प्रोडक्ट और सर्विसेस में AI को लागू कर रहा है। इससे माइक्रोसॉफ्ट के शेयर बीते 6 महीने में 15% से ज्यादा चढ़ चुके हैं। इससे कंपनी के मार्केट कैप में उछाल आया है।
- इस साल मार्च के महीने में एपल के शेयर में गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, अब इसमें थोड़ी रिकवरी आई है। बीते 6 महीने में एपल का शेयर केवल 1.92% चढ़ा है। वहीं एक महीने में इसमें 7.56% का उछाल आया है।
- बीते हफ्ते सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया एपल को पीछे कर दुनिया की दूसरी सबसे वैल्युएबल कंपनी बन गई थी। एनवीडिया मार्केट कैप 3.01 ट्रिलियन डॉलर हो गया था। बीते एक साल में इसके शेयर में 212% की तेजी आई है।
3 महीने में 2 से 3 ट्रिलियन के मार्केट कैप पर पहुंची एनवीडिया
दिलचस्प बात यह है कि टिम कुक के नेतृत्व वाली एपल जनवरी 2022 में 3 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप तक पहुंचने वाली पहली अमेरिकी कंपनी थी। माइक्रोसॉफ्ट ने 2024 में इस मील के पत्थर को हासिल किया। वहीं एनवीडिया ने फरवरी 2024 में 2 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप को पार किया था, और इसे 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में केवल तीन महीने लगे।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।