9 बार विधायक और 6 बार मंत्री, अयोध्या में BJP को पटखनी देने वाले अवधेश प्रसाद का सियासी सफर खड़े कर देगा रौंगटे

अयोध्या. 10वीं कक्षा पास कर एक छोटे कद का सुडौल शरीर लिए छात्र अपने क्षेत्र के सांसद के पास फीस माफ करवाने की अर्जी लगाने जाता है. लेकिन सांसद का रवैया उसकी कोई इज्जत नहीं करता और उसे दुत्कार कर भगा दिया जाता है. अपमान और क्रोध का घूंट पीकर ये 14-15 साल का लड़का सांसद के घर से बाहर निकलता है और खुद कागज पर अपना नाम लिखता है.

नाम के आगे एलएलबी, एडवोकेट, विधायक, सांसद- गृह मंत्री जैसे बड़े पद जोड़ लेता है. अब 60 साल बाद आज यही लड़का 79 साल की उम्र में अपने सियासी कद से सभी को दंग कर देता है. यही वो लड़का है जो अयोध्या में भी भाजपा को हार का स्वाद चखाकर पूरे देश को चौंका देता है. जी हां हम बात कर रहे हैं अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट से सपा के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की.

अवधेश प्रसाद रहे 9 बार विधायक और 6 बार मंत्री

अवधेश प्रसाद ने अयोध्या में भाजपा के प्रत्याशी लल्लू सिंह को 54 हजार वोटों से मात देकर यहां से नवनिर्वाचित सांसद बने हैं. 79 साल के अवधेश प्रसाद अपने सियासी करियर में 9 बार विधायक और 6 बार मंत्री रह चुके हैं. अवधेश प्रसाद भले ही देशभर की नजरों में 2024 का चुनाव जीतकर आए हैं लेकिन उनका सियासी सफर काफी इंसपिरेशनल रहा है.

31 जुलाई 1945 को सुरवारी गांव के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे अवधेश प्रसाद स्कूल के दिनों से ही सियासत में दिलचस्पी रखते रहे हैं. लाल टोपी, सफेद कुर्ता, गले में गमछा और छोटा कद उनकी गहरी और दूरदर्शी पर्सनालिटी की गवाही देता है. अवधेश प्रसाद ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में बताया कि स्कूल के दिनों से ही राजनीति में आना चाहता था. स्कूल खत्म करने के बाद अवधेश प्रसाद ने 1968 में लॉ की पढ़ाई पूरी की और राजनीति में सक्रिय हो गए. वकीन बनने के बाद अवधेश ने वकालत का काम शुरू कर दिया.

वकालत के साथ शुरू की थी राजनीति

वकालत के साथ ही राजनीति में भी लगे रहे. साल 1974 में अवधेश ने पहली बार चुनाव लड़ा. लेकिन पहले ही चुनाव में अवधेश प्रसाद को 324 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. इसके अगले साल 1975 में ही इमरजेंसी लग गई. इमरजेंसी के दौरान अवधेश प्रसाद भी जेल में दिन काटते रहे. बीबीसी हिंदी को दिए इंटरव्यू में अवधेश इमरजेंसी के दिनों का एक किस्सा बताते हैं, ‘मैं आपातकाल के दिनों में जेल में बंद था. इसी दौरान मेरी का निधन हो गया. मां के शव को 4 दिनों तक घर पर रखा रहा. लेकिन मैं जेल में होने के कारण मां के अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं ले पाया.

आपातकाल में जेल में काटा समय और चूक गए मां का अंतिम संस्कार

इस बात का मलाल मुझे ताउम्र रहा और आज भी है.’ अवधेश प्रसाद ने इसके बाद कभी हार नहीं मानी और 1977 में अयोध्या की सोहवाल विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़ा. इस बार अवधेश की किस्मत चमकी और जीतकर विधायक बन गए. इसके बाद फिर कभी अवधेश ने यहां से हार का स्वाद नहीं चखा. 9 बार इसी सीट से विधायक रहने वाले अवधेश प्रसाद 6 बार मंत्री भी रहे हैं. अवधेश प्रसाद ने अब 2024 में अयोध्या की फैजाबाद सीट पर भाजपा को हराने के बाद पूरे देश में अपने नाम का सिक्का चलाया. अब अवधेश प्रसाद के नाम को ना केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में विशेष तौर पर जाना जा रहा है. अवधेश प्रसाद की अब तक की सियासी यात्रा काफी प्रेरणादायक रही है.

Tags: Ayodhya, BJP

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