दुनिया के सबसे पुराने मोटे अनाज में होती है इस फसल की गिनती, इस तरह करें इसकी खेती, जानें फायदे-This crop is counted among the oldest coarse grains in the world, cultivate it in this way, know the benefits

गया : किसान एक बार फिर श्रीअन्न की खेती की ओर लौटने लगे हैं. इस वर्ष खरीफ सीजन में राज्य में मोटे अनाज की खेती पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में हम आज फॉक्सटेल मिलेट यानि कौनी कंगनी के खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. कौनी कंगनी की एक किस्म है जो कम समय में पकने वाली फसल है. यह 80 दिन में ही पक कर तैयार हो जाती है. खास बात यह है कि इसमें कम खाद और पानी की जरूरत पड़ती है. इस फसल से किसान मालामाल बन सकते हैं.

इसकी अच्छी पैदावार के लिए 4 से 6 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत पड़ती है. बुआई को सीडड्रिल से या हल के पीछे कतार में बीज गिराकर किया जा सकता है. इसकी बुआई का बेहतर समय जुन से जुलाई महीने का होता है.

फॉक्सटेल मिलेट दुनिया में सबसे पुराने मोटे अनाजों की खेती मानी जाती है. एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के कई देश में इसकी खेती की जाती है. यह अनाज, मानव उपभोग के लिए भोजन के रूप में अच्छा माना जाता है. कुक्कुट और पिंजरे के पक्षियों के लिए दाने के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है. फॉक्सटेल मिलेट दुनिया में मोटे अनाज उत्पादन में दूसरे स्थान पर है. इसलिए इसका विश्व कृषि को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण स्थान है.भारत में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक भारत के पूर्वोत्तर राज्य में इसकी खेती की जाती है.

हालांकि बिहार सरकार के प्रयास से गया के मायापुर स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में भी इसकी खेती शुरू की गई है और अब किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. खरीफ सीजन में जहां कम वर्षापात होती है वहां इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. कंगनी की फसल मध्यम भूमि में अच्छी उपज देती है.

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और इक्रीसेट के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राहुल प्रियदर्शी बताते हैं कि कंगनी के बेहतर पैदावार के लिए उपजाऊ मिट्टी और जल निकासी वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है. यह फसल रेतीली से भारी मिट्टी और चिकनी मिट्टी पर भी अच्छी उपज देती है. इसकी फसल 500-700 मिमी वार्षिक वर्षा वाली जगह में बेहतर उपज देती है. कंगनी की फसल जल भराव को सहन नहीं कर सकती और ज्यादा सूखा होने पर भी फसल को नुकसान होता है.

इसका उपयोग गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए, एक ऊर्जा के रूप में किया जाता है और बीमार लोग और बच्चे के लिए भी ये काफी पोषण युक्त है. फॉक्सटेल मिलेट को मधुमेग रोग का डायबिटिक फूड माना जाता है. यह आहार फाइबर, खनिज, सूक्ष्म पोषक तत्व, प्रोटीन, और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स का एक अच्छा स्त्रोत है. किसान अगर इसकी खेती करते हैं तो प्रति हेक्टेयर 50-70 हजार रुपये की बचत कर सकते हैं.

Tags: Bihar News, Gaya news, Local18

Source link

Leave a Comment

और पढ़ें

  • JAPJEE FAMILY DENTAL CLINIC
  • Ai / Market My Stique Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool