सिक्किम में दोस्‍त ने ही कैसे कर दिया बीजेपी को जीरो, जानिए पूरी कहानी

प्रेम सिंह तमांग का शिक्षक से राजनेता और फिर मुख्‍यमंत्री बनने का उनका सफर भी कम रोचक नहीं है. तमांग की पार्टी ने इन चुनावों में 32 सीटों में से 31 पर जीत दर्ज की है. यह आंकड़ा बता रहा है कि विपक्षी दलों और उनके बीच अंतर कितना विशाल है. तमांग अपने राजनीतिक गुरु को हराकर एक बार फिर सिक्किम की बागडोर संभालने जा रहे हैं. तमांग ने बेटे आदित्य गोले को भी सोरेंग-चाकुंग सीट से टिकट काट दिया था. इस फैसले से भी उन्होंने लोगों के दिलों में अलग जगह बनाई. इस सीट से उन्होंने खुद चुनाव लड़ जीत हासिल की.

Latest and Breaking News on NDTV

केंद्र में बीजेपी के साथ एसकेएम

इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में प्रेम सिंह तमांग ने कहा कि हम बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हैं. इस बार हमने राज्य में राजनीतिक परिदृश्य और समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग चुनाव लड़ा. हालांकि, हमारे बीच कोई कड़ा मुकाबला नहीं हुआ, हमने 2019 में भी गठबंधन के रूप में चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन इस साल राज्यसभा की सीट भाजपा को दे दी गई. बीजेपी को हमारा समर्थन केवल केंद्र में है.

2019 के चुनाव में भी बीजेपी का रिकॉर्ड निराशाजनक

सिक्किम में 2019 के विधानसभा चुनाव तक भारतीय जनता पार्टी का चुनावी ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ बहुत खराब रहा है. बीजेपी ने 1994 में सिक्किम की चुनावी राजनीति में प्रवेश किया था, जब उसने तीन सीट पर चुनाव लड़ा था और तीनों सीट पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी.

सिक्किमी पहचान का मुद्दा चुनाव में रहा हावी

इस बार के चुनाव में सिक्किमी पहचान का मुद्दा काफी अहम रहा, इसलिए ये मुद्दा सभी पार्टियों के एजेंडे में भी शामिल रहा. एसकेएम ने राज्यभर में इस बात पर खासा जोर दिया कि इस बार का चुनाव यहां के स्थानीय लोगों की आत्मा की लड़ाई है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि एसडीएफ की विभाजनकारी राजनीति लोगों खफा थे और जिसका खामियाजा साल 2019 में उन्हें भुगतना पड़ा.

सिक्किमी लोगों की परिभाषा के विस्तार से कई दलों में नाराजगी

पिछले दिनों राज्य में ‘सिक्किमी’ लोगों की परिभाषा का विस्तार किया गया था, बताया जा रहा है कि इससे ज्यादातर क्षेत्रीय दलों में नाराजगी चली आ रही थी. दरअसल नई परिभाषा के तहत नए वित्त अधिनियम 2023 में 1975 तक सिक्किम में रहने वाले पुराने निवासियों के वंशजों को शामिल किया गया. जिसमें स्थानीय लेप्चा, भूटिया और नेपाली लोगों से परे ‘सिक्किमी’ लोगों की परिभाषा का विस्तार हुआ.

राज्य में ‘सिक्किमी’ लोगों की परिभाषा का विस्तार किया गया था, बताया जा रहा है कि इससे ज्यादातर क्षेत्रीय दलों में नाराजगी चली आ रही थी.

हालांकि भारतीय जनता पार्टी इस कदम का बचाव किया था. इसके साथ ही पार्टी की तरफ से तर्क दिया गया कि पुराने निवासियों के वंशजों को आयकर में छूट का लाभ पहुंचाने के लिए ये कदम उठाया गया. साथ ही अनुच्छेद 371एफ का मुद्दा सभी चुनावी दलों के फोकस में रहा. एसकेएम और एसडीएफ दोनों ने ही अनुच्छेद 371एफ के संरक्षण को मुख्य मुद्दा बनाया जो सिक्किम के विशेष प्रावधान सुनिश्चित करता है.

(भाषा इनपुट्स के साथ)


Source link

Leave a Comment

और पढ़ें

  • JAPJEE FAMILY DENTAL CLINIC
  • Ai / Market My Stique Ai
  • Buzz Open / Ai Website / Ai Tool