क्या होती है नल से निकले पानी की असली एक्सपायरी डेट? एक्सपर्ट ने बता दिया सही जवाब

दीपक पाण्डेय/खरगोन. हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है. पानी उन्हीं में से एक है. बिना पानी के जीवित रह पाना मुश्किल है. इसकी पूर्ति के लिए नदी, तालाब, बावड़ियां, कुएं, बोरिंग, हैंडपंप सहित तमाम जल स्त्रोत निर्मित किए गए हैं. इन्हीं जल स्त्रोत से पानी पाइप लाइन से गुजर कर हमारे घरों तक नल के जरिए पहुंचता है.

लेकिन, क्या कभी आपने सोचा है कि नल से आने वाले जिस पानी को आप पी रहे हैं, कहीं वो पानी एक्सपायर तो नहीं हो गया. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या पानी की भी कोई एक्सपायरी डेट होती है? जी हां, नल से आने वाले पानी की भी एक्सपायरी डेट होती है. एक्सपर्ट का जवाब सुनकर आपका सिर घूम जाएगा!

पानी की असली एक्सपायरी डेट
पीएचई विभाग में 21 वर्षों का अनुभव रखने वाले लैब टेक्नीशियन खड़क सिंह मौर्य ने बताया कि अगर घरों में नल से पानी फिल्टर होकर आया है तो इस पानी को 4 से 5 दिन ही उपयोग में ले सकते हैं, इसके बाद पानी एक्सपायर हो जाता है. जबकि बिना फिल्टर का पानी डायरेक्ट जल स्त्रोत से आया है तो इसे 2 से 3 दिन ही इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके बाद पानी पीने योग्य नहीं रहता.

पानी कैसे हो जाता है एक्सपायर
खड़क सिंह मौर्य ने बताया कि जब पानी को अधिक दिनों तक किसी बर्तन या टंकी में स्टोर करके रखा जाता है तो उसके बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. बैक्टीरिया वाला पानी पीने से शरीर के कई अंग डैमेज हो सकते हैं. डायरेक्ट आने वाले पानी में पहले से बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं, इसलिए इसे ज्यादा दिनों तक स्टोर करके रखना और इस्तेमाल करना ठीक नहीं है.

लैब में हर घंटे टेस्टिंग
दरअसल, मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर गांव जलूद में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE Department) संचालित होता है. यह विभाग इंदौर नगर निगम के अधीन है. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के लाखों लोगों की प्यास यहीं से भेजे हुए नर्मदा के पानी से बुझती है. यहां लैब में हर घंटे पानी की टेस्टिंग होती है. विभाग के एसडीओ निर्मल कनाड़े और लैब टेक्नीशियन खड़क सिंह मौर्य ने ना सिर्फ Local 18 को पानी की एक्सपायरी बताई, बल्कि पानी की शुद्धता की जांच भी करके दिखाई.

बोरिंग के पानी के नुकसान
बोरिंग के पानी में फ्लोराइड और हार्डनेस ज्यादा पाई जाती है. बिना पानी को शुद्ध किए पीने से शरीर में पेट संबंधित बीमारियां बढ़ती हैं. हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं, बच्चों के दांत पीले पड़ जाते हैं. गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे को भी दिक्कत हो सकती है, इसलिए जरूरी है कि पानी को शुद्ध करके ही पिया जाए. किसी भी जलाशय से लिए पीने में 0.22 एमएम क्लोरीन होनी चाहिए.

शुद्धता जांचने के मानक
लैब टेक्नीशियन खड़क सिंह मौर्य ने बताया कि पानी की शुद्धता के लिए अलग-अलग पैरामीटर तय किए गए हैं. इसमें तापमान, रंग, टर्बिट, बीपीएच, हार्नेस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, फारस्पेड, सल्फेट, आयरन, नाइट्रोजन, नायट्रेड, टीडीएस, क्लोरीन, एमपीएन, डीओ, बीओडी, सीओडी शामिल है.

पीने योग्य पानी का पीएच मान
अगर फिल्टर पानी में पीएच की मात्रा 7.0 से 8.5 तक है तो पानी पीने योग्य है. जहां बिना फिल्टर का पानी डायरेक्ट जल स्त्रोत से आया है, उसका पीएच मान 6.5 से 9.2 तक है तो पानी पिया जा सकता है. टीडीएस 500 से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

Tags: Drinking Water, Health News, Local18, Polluted water

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